सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर अंतरिम आदेश के जरिये रोक लगाने का प्रस्ताव रखा है। शीर्ष कोर्ट ने अदालताें की ओर से वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर अधिसूचित करने, वक्फ में पदेन सदस्यों को छोड़कर अन्य गैर मुस्लिम सदस्य को शामिल करने और कलेक्टरों की जांच के दौरान संपत्ति को गैर वक्फ किए जाने के प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा। अधिनियम के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि, कानून के लागू होने पर तत्काल रोक नहीं लगाई। शीर्ष कोर्ट ने इस मुद्दे पर हो रही हिंसा पर चिंता जताई। वहीं, केंद्र सरकार ने प्रावधानों पर रोक के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि शीर्ष कोर्ट को कोई भी निर्देश जारी करने से पहले मामले मे सुनवाई करनी चाहिए।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, हमारा अंतरिम आदेश हिस्सेदारी को संतुलित करेगा। पहला, हम आदेश में कहेंगे कि न्यायालय की ओर से वक्फ घोषित की गई किसी भी संपत्ति को गैर अधिसूचित नहीं किया जाएगा, यानी उसे गैर वक्फ नहीं माना जाएगा, फिर चाहे वह संपत्ति उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ की गई हो या विलेख के जरिए। दूसरा, कलेक्टर किसी संपत्ति से संबंधित अपनी जांच की कार्यवाही जारी रख सकता है, पर कानून का यह प्रावधान प्रभावी नहीं होगा कि कार्यवाही के दौरान संपत्ति गैर वक्फ मानी जाए। तीसरा, बोर्ड व परिषद में पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन अन्य सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।
सुनवाई के आखिर में पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करने का संकेत दिया, लेकिन उसने केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर बृहस्पतिवार को भी विचार करने का फैसला किया। शीर्ष कोर्ट ने प्रस्ताव रखा कि अलग-अलग हाईकोर्ट में वक्फ कानून 1995 को दी गई चुनौती से संबंधित याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर ली जाएं।
आज शीर्ष कोर्ट दे सकता है अंतरिम आदेश
अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली 72 से अधिक याचिकाओं के समूह पर करीब दो घंटे सुनवाई के बाद पीठ ने बुधवार को इस आशय का कोई आदेश पारित नहीं किया। पीठ ने कहा, बृहस्पतिवार को फिर से मामले की सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश पारित करने पर विचार करेगा। बुधवार को किसी पक्ष को नोटिस नहीं जारी किया गया।
प. बंगाल में हिंसा पर जताई चिंता
सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में चल रही हिंसा पर भी चिंता व्यक्त की और कहा, एक बात बहुत परेशान करने वाली है कि हिंसा हो रही है। अगर मामला कोर्ट में लंबित है तो ऐसा नहीं होना चाहिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने भी कहा, हिंसा नहीं होनी चाहिए।
केंद्र सरकार से पूछे कड़े सवाल
सीजेआई खन्ना : क्या 2025 का कानून उपयोग में आने से पहले उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ की गई सभी संपत्तियां अब वक्फ के रूप में अस्तित्व में नहीं रह गई हैं?
मेहता : संपत्तियां रजिस्टर हैं, तो वक्फ ही रहेंगी।
सीजेआई : अंग्रेजों के आने से पहले देश में संपत्ति रजिस्ट्रेशन की सुविधा नहीं थी। अधिकांश मस्जिदें 14वीं और 15वीं सदी की हैं। उदाहरण के लिए दिल्ली का जामा मस्जिद। वे रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट कहां से लाएंगे?
मेहता : उन्हें अब तक रजिस्ट्रेशन कराने से किसने रोका है?
जस्टिस विश्वनाथन : अगर सरकार ने धारा 3सी लागू कर उस संपत्ति को सरकारी घोषित कर दिया तो क्या होगा?
नए कानून के बारे में पीठ ने उठाए ये सवाल
- क्या उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ की गई सभी संपत्तियां अब वक्फ के रूप में अस्तित्व में नहीं रह गई हैं?
- शताब्दियों से मौजूद उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ संपत्तियों को पंजीकृत करने के लिए कैसे कहा जा सकता है? सीजेआई ने जामा मस्जिद का उदाहरण दिया।
- क्या यह कहना उचित है कि जब तक सरकार का अधिकृत अधिकारी इस विवाद की जांच पूरी नहीं कर लेता कि यह सरकारी संपत्ति है या नहीं, तब तक किसी संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा?
- धारा 2ए प्रावधान न्यायालय के उन निर्णयों को कैसे रद्द कर सकता है जो संपत्तियों को वक्फ घोषित करते हैं?
- क्या नए संशोधनों के बाद, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों के अधिकांश सदस्य मुस्लिम होंगे?