भारत और कनाडा के संबंध पहले जैसे नहीं है। निज्जर की हत्या के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान को लेकर भारत ने कनाडा के साथ राजनयिक संबंधों पर कड़ा रूख अख्तियार किया है। दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में शिक्षा भी अहम भूमिका निभाती है। बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई करने कनाडा जाते हैं। ताजा घटनाक्रम में भारतीय छात्रों का मोहभंग होने की बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा के आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर ने भी कहा है कि भारत से आने वाले छात्रों की संख्या निकट भविष्य में बढ़ेगी, इसकी संभावनाएं क्षीण हैं।
कनाडा जाने के लिए भारतीय छात्रों को जो परमिट मिलता है, उसमें लगातार गिरावट देखी जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 86 फीसदी कम भारतीय छात्रों को परमिट मिले हैं। कनाडा सरकार के बड़े अधिकारी ने बताया है कि पिछले साल के अंत में परमिट में तेज गिरावट देखी गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भारत ने परमिट की प्रक्रिया पूरी करने वाले कनाडाई राजनयिकों को देश से बाहर निकाल दिया। खालिस्तान मुद्दे पर विवाद के बीच भारत की सख्ती का नतीजा यह भी हुआ कि कनाडा में पढ़ाई के लिए पहले की तुलना में काफी कम छात्रों ने आवेदन किए।
दोनों देशों के तल्ख रिश्तों के बीच आप्रवासन मंत्री मिलर का मानना है कि शिक्षा जगत पर इस तनाव का बुरा असर पड़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि तनाव के कारण भारत से आने वाले आवेदन कम हुए हैं। साथ ही इनको प्रोसेस करने में जुटे अधिकारियों की संख्या भी लगभग आधी हो चुकी है। बता दें कि बीते अक्तूबर में कनाडा के 41 राजनयिकों को भारत से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।