रानीखेत : उत्तराखंड की बेटियां लगातार अपने हौसलों और अपने नेक इरादों से राज्य के साथ साथ देश का नाम भी रोशन कर रही हैं। वहीं उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में रहने वाली तरन्नुम कुरैशी ने आइटीबीपी में भर्ती होने व देश की पहली महिला आरक्षी बनी से साबित कर दिया की लड़कियां भी लड़कों से कम नहीं होती है। यह उत्तराखंड के साथ देश के लिए भी बेहद अच्छी खबर है। रानीखेत निवासी तरन्नुम कुरैशी आईटीबीपी में भर्ती होने के बाद उनके घर और मौहल्ले में खुशी का माहौल है, इस सफलता को पाने के लिए तरन्नुम कुरैशी की कड़ी मेहनत और परिश्रम को नहीं भुलाया जा सकता है।
रानीखेत के कुरैशियान मोहल्ले की रहने वाली तरन्नुम कुरेशी पुत्री स्वर्गीय अहमद बख्श व स्वर्गीय नफीसा खातून ने बचपन के शौक को पूरा कर सभी बालिकाओं के लिए एक मिसाल पेश की है। तरन्नुम ने इंटर तक की पढ़ाई जीजीआईसी से की है। जिसके बाद उन्होंने राजकीय महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है। वह एनसीसी की कुशल कैडेट भी रही हैं। तरन्नुम बताती हैं कि माता पिता के निधन के बाद दोनों भाइयों ने उनके सेना में जाने के सपने को आगे बढ़ाया। तरन्नुम की भर्ती 2017 में हो गई थी। लेकिन कोरोना के कारण 2021 में ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया।
उत्तराखंड की एकलौती बालिका बनी आरक्षी
भर्ती प्रक्रिया में देश के 600 कैडेट्स का चयन हुआ। जिसमें 70 बालिकाओं को ही सफलता मिली है। जिसमें उत्तराखंड राज्य से एकलौती बालिका आरक्षी बनने का अवसर तरन्नुम को प्राप्त हुआ है। वह 6 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद घर आई हैं। उन्हें अब जोधपुर में तैनाती मिल जाएगी। वाकई तरन्नुम सभी बालिकाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। जहां लड़के देश की सेवा में सदेव आगे रहते थे वहीं उत्तराखंड की बेटी तरन्नुम में भी साबित कर दिया कि देश की सेवा में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं।