इस बार का विधान सभा चुनाव 2022 कुछ नया गुल खिलाने वाला है, ऐसा महसूस हो रहा है। आरोप प्रत्यारोप की ओट से निकले बागी इस तरफ संकेत तो जरूर दे रहे हैं। क्या इस बार उत्तराखण्ड में खंडित जनादेश आने वाला है ? खैर ये तो 10 मार्च को मतगणना परिणाम ही बता देगा कि उत्तराखण्ड की सियासत मे क्या होने वाला है। लेकिन ये कयास लगाये जा रहे हैं कि उत्तराखंड की सियासत में एक बार फिर आजाद उम्मीदवारों का दम दिखेगा,जो प्रदेश की सत्ता बनाने में वे फिर किंग मेकर भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे ही न जाने कितने सवाल सियासी गलियारों में शिद्दत से माहौल को गर्म कर रहे हैं। जाहिर है विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद सत्तारुढ़ दल भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस यकीनी तौर से प्रदेश में अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हों लेकिन अंदयनी तौर पर दोनों ही दल चुनाव परिणाम को लेकर भयभीत जरूर हैं।
विधानसभा सीटों से जो रुझान प्राप्त हो रहे हैं उनमें प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल के अलावा निर्दलियों के दमदार प्रदर्शन की भी चारों तरफ खूब चर्चा हो रही है। हालांकि 10 मार्च को मतगणना परिणाम ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा लेकिन प्रदेश में सरकार बनाने को बेताब भाजपा और कांग्रेस परिणाम आने से पहले ही सभी तरह की संभावनाओं पर निगाह बनाए हुए हैं।
सियासी गलियारों में इस तरह की चर्चा जोंरों पर है जिसके आधार पर यमुनोत्री विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल और केदारनाथ में कुलदीप रावत ने इस चुनाव में दमदार प्रदर्शन किया है।इसी तरह से टिहरी विस सीट पर उत्तराखंड जन एकता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश धनै ने भी भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को कांटे की टक्कर दी है। इन तीनों उम्मीदवारों पर भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता वेट एण्ड वाच की बनाये हुए हैं।
इन तीन उम्मीदवारों के अलावा यूकेडी के दो प्रत्याशियों के नामों की भी खूब चर्चा हो रही है, इनमें पहला नाम देवप्रयाग से चुनाव लड़े दिवाकर भट्ट का और दूसरा द्वाराहाट से यूकेडी प्रत्याशी पुष्पेश त्रिपाठी का नाम है। इनके अलावा सियासी गलियारों में बहुजन समाज पार्टी को लेकर भी चर्चा है, हालांकि बसपा अकेले हरिद्वार जिले में चार से छह सीटें जीतने का दावा कर रही है।
वैसे राजनीतिक विशलेषकों का मानना है कि जिले की चार विधानसभा सीटों पर बसपा को दमदार मान रहे हैं उनका मानना है कि लक्सर, मंगलौर, भगवानपुर व खानपुर विस सीटों में बसपा ने दमदार प्रदर्शन किया है इनमें से दो से तीन सीटों पर भी वह सीधे मुकाबले में मानी जा रही है। मजेदार बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस के सियासी हलकों में इन सभी प्रत्याशियों की चर्चा है उनसे संपर्क बनाने की कोशिशों को लेकर भी बातें हो रही हैं।
भाजपा और कांग्रेस के दावे से अलग अगर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आता है तो फिर निर्दलीय व अन्य दलों के प्रत्याशी किंग मेकर भूमिका में होंगे क्योंकि 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव इसके गवाह भी हैं इन दोनों ही चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था तब गैरभाजपा और गैर कांग्रेसी विधायकों की मदद से सरकारों का गठन हुआ था । 2017 के विस चुनाव में भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत था इसलिए निर्दलीय को उतना महत्व नहीं मिल पाया।