Notice: Undefined index: HTTP_REFERER in /home/u141101890/domains/parvatsankalpnews.com/public_html/wp-content/themes/newscard/newscard.theme#archive on line 43

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसल, Vote के बदले Note लेने वाले सांसदों / विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं

“रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है, 1998 के फैसले की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 105, 194 के विपरीत है- सुप्रीम कोर्ट”

नई दिल्ली:-  सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए सांसदों और विधायकों को विधायिका में भाषण देने या वोट डालने के लिए रिश्वत लेने पर कानूनी संरक्षण के मामले में कहा है कि वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों / विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं है। CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने फैसला सुनाया, सात जजों ने सहमति से यह फैसला सुनाया  है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अनुच्छेद 105(2) या 194 के तहत रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी गई है, क्योंकि रिश्वतखोरी में लिप्त सदस्य एक आपराधिक कृत्य में शामिल होता है, जो वोट देने या विधायिका में भाषण देने के कार्य के लिए आवश्यक नहीं है, अपराध उस समय पूरा हो जाता है, जब सांसद या विधायक रिश्वत लेता है. ऐसे संरक्षण के व्यापक प्रभाव होते हैं।

राजव्यवस्था की नैतिकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, हमारा मानना ​​है कि रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है। इसमें गंभीर ख़तरा है, ऐसा संरक्षण ख़त्म होने चाहिए,” सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा, “एक सासंद/ विधायक छूट का दावा नहीं कर सकता, क्योंकि दावा सदन के सामूहिक कामकाज से जुड़ा है।  अनुच्छेद 105 विचार-विमर्श के लिए एक माहौल बनाए रखने का प्रयास करता है, इस प्रकार जब किसी सदस्य को भाषण देने के लिए रिश्वत दी जाती है, तो यह माहौल खराब हो जाता है, सांसदों/ विधायकों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देती है।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *