नवरात्र का पहला दिन, जानिए आखिर कौन है मां शैलपुत्री

           या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: ।। 

 

मां दुर्गा के नौ रूपों की विशेष पूजा का उत्सव नवरात्रि आज से शुरू गया है। इसको लेकर भक्तों में उत्साह बना हुआ है। वहीं शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है।

शिव की नगरी में मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर
                                  शिव की नगरी में मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर

आखिर क्यों पड़ा शैलपुत्री नाम

वैदिक शास्त्रों में बताया गया है कि मां शैलपुत्री का जन्म हिमालय के राजा के घर में एक शैल यानी पत्थर पर हुआ था, जिसकी वजह से ही मां का नाम शैलपुत्री पड़ गया। उनका नाम दो शब्दों, शैल (पहाड़) + पुत्री (बेटी) से बना है, जिसका अर्थ है पहाड़ों की बेटी। मां शैलपुत्री की पूजा में श्वेत यानी सफेद रंग का विशेष स्थान है, ऐसा माना जाता है कि मां शैलपुत्री को श्वेत रंग बहुत ही पसंद है माता शैलपुत्री को माता पार्वती, वृषारुढ़ा के नाम से भी जानते हैं। मां शैली की पूजा करने से इंसान को सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही व्यक्ति को कीर्ति, यश और धन की प्राप्ति होती है।

 

शैलपुत्री देवी का प्रसिद्ध मंदिर

बनारस में वरुणा नदी के तट पर मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर है। जो वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूर अलीपुरा कस्बे में है। काशी का प्राचीन शैलपुत्री मंदिर अन्य शक्तिपीठों से काफी अलग है। यहां मंदिर के गर्भगृह में मां शैलपुत्री के साथ शैलराज शिवलिंग भी विराजमान है। पूरे भारत में यह एकमात्र ऐसा भगवती मंदिर है, जहां शिवलिंग के ऊपर देवी मां विराजमान हैं।

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