उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार ‘सूर्यधार झील’ में वित्तीय गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। इस पर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने इस मामले के दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि दो साल पहले जांच शुरू हुई थी, जैसा कि मालूम हो कि 29 जून 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सूर्यधार झील के निर्माण की घोषणा की थी। 22 दिसंबर 2017 को इसके लिए 50 करोड़ 24 लाख रुपये का बजट मंजूर करा गया था। इसके बाद 27 अगस्त 2020 को सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सूर्यधार बैराज निर्माण स्थल का निरीक्षण किया तो उनका खामियां मिलीं।
मौके पर खामियां सामने आने के बाद महाराज ने जांच के आदेश दे दिए थे। मामले की जांच को 16 फरवरी 2021 को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इस समिति ने 31 दिसंबर 2021 को शासन को रिपोर्ट सौंप दी। पर्यटन मंत्री महाराज को चार जनवरी 2022 को रिपोर्ट मिली तो उन्होंने कार्रवाई के निर्देश दे दिए। अब सिंचाई सचिव हरिचंद सेमवाल ने इस मामले में सिंचाई विभाग के एचओडी प्रमुख अभियंता इंजीनियर मुकेश मोहन को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। राब्ता कायम करने पर एचओडी ने कहा कि शासन के निर्देश प्राप्त हुए हैं। इस पर कार्रवाई चल रही है।
आपको बता दें कि तय बजट से 12 करोड़ रुपये अधिक का खर्च किए। कई कार्यों की दर में भी काफी विसंगतियां मिलीं
डीपीआर बनाने वाली कंपनी को 27 लाख रुपये का गलत भुगतान किया गया है। जांच कमेटी ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करी है। वहीं झील की डीपीआर भी त्रुटिपूर्ण है। इसका तकनीकी परीक्षण करने में भी लापरवाही बरती गई है।झील के निर्माण में बैराज की ऊंचाई बढ़ाने के लिए भी शासन से अनुमति नहीं ली गई है जबकि विभागीय इंजीनियरों ने खुद ही ऊंचाई बढ़ा दी थी,तकनीकी सलाहकार की नियुक्ति भी शासन के संज्ञान में लाए बिना ही कर दी गई थी।