केदारनाथ यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार की कोई क्रूरता न हो तथा बीमार एवं कमजोर घोड़े-खच्चरों का संचालन यात्रा मार्ग में न हो तथा घोड़े-खच्चरों को गरम पानी मुहैया कराने एवं उनकी निरंतर निगरानी करने के लिए प्रदेश के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा निर्देश दे रहे हैं और समीक्षा भी कर रहे हैं।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. आशीष रावत ने अवगत कराया है कि जिलाधिकारी के निर्देशन में यात्रा मार्ग में संचालित होने वाले घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार से कोई पशु क्रूरता न हो उसकी निगरानी के लिए 30 सदस्यीय म्यूल टास्क फोर्स तैनात की गई है तथा घोड़े-खच्चरों चिकित्सा सुविधा हेतु 7 पशु चिकित्सकों एवं 6 पैरावेट की तैनाती की गई है। यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों को गरम पानी उपलब्ध कराए जाने के लिए 13 स्थानों पर बिजली से संचालित गरम पानी के गीजर लगाए गए हैं तथा सौर ऊर्जा द्वारा संचालित 4 गरम पानी के गीजर केदारनाथ घोड़ा पड़ाव, भीमबली, लिनचोली तथा गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव में लगाए गए हैं।
उन्होंने अवगत कराया है कि घोड़े-खच्चरों के चिकित्सा उपचार हेतु 4 स्थानों जिसमें सोनप्रयाग, गौरीकुंड, बड़ी लिनचोली तथा केदारनाथ रुद्रा प्वाइंट पर एमआरपी बनाई गई है जिनमें डाॅक्टरों द्वारा घायल व बीमार घोड़े-खच्चरों का निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी अवगत कराया है कि जिलाधिकारी के निर्देशन में इस यात्रा में गरम पानी सहित घोड़े-खच्चरों की देखभाल हेतु उचित प्रबंधन किया गया है।
जहां पिछले वर्ष की यात्रा के प्रथम सप्ताह में 19 घोड़े-खच्चरों की मृत्यु हुई थी तथा इस वर्ष की यात्रा के प्रथम सप्ताह में 03 घोड़े-खच्चरों की मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार की क्रूरता न हो इसके लिए तैनात डाॅक्टरों एवं कार्मिकों द्वारा निरंतर निगरानी की जा रही है।
उन्होंने यह भी अवगत कराया कि नियमों का पालन न करने वाले 61 घोड़े-खच्चरों व मालिकों का चालान किया गया है तथा यात्रा में संचालित न किए जाने वाले 32 घोड़े-खच्चरों को ब्लाॅक किया गया है तथा 02 व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।