उत्तराखंड के थराली, धराली और स्यानाचट्टी क्षेत्रों में आई भीषण आपदा ने जनजीवन को गहरी चोट पहुंचाई है। पहाड़ों से आए पानी के साथ भारी मात्रा में मलबा नीचे की ओर बहता चला आया, जिससे कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और लोगों की जान पर बन आई। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित क्षेत्रों के लिए तुरंत राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं।
राहत व बचाव कार्य पर विशेष जोर
दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री धामी सीधे राज्य आपदा परिचालन केंद्र (SEOC) पहुंचे और हालात की जानकारी ली। उन्होंने राहत एवं बचाव दलों को पूरी क्षमता के साथ कार्य करने के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आपदा की प्रकृति यह संकेत देती है कि ग्लेशियर किनारे जमा मलबा कच्चा हो रहा है, जिसे लेकर वैज्ञानिक अध्ययन आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
आर्थिक मदद और संवेदना
आपदा में जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके लिए मुख्यमंत्री ने गहरी संवेदना प्रकट की। उन्होंने घोषणा की कि मृतकों के परिजनों को तत्काल 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। वहीं, जिन भवनों को भारी क्षति पहुंची है, उनके मालिकों को भी राहत पैकेज से सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने थराली में मलबे में दबकर एक युवती की मृत्यु पर दुख जताया और लापता व्यक्ति के सकुशल मिलने की प्रार्थना की। उन्होंने प्रभावित परिवारों से धैर्य बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि –
“इस मुश्किल घड़ी में राज्य सरकार थराली के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।”
नदियों पर बढ़ा खतरा – ड्रेजिंग व चैनलाइजेशन के निर्देश
मुख्यमंत्री धामी ने नदियों के किनारे बसे शहरों और कस्बों के लिए भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि नदियों में गाद (सिल्ट) जमने से जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए नदियों की द्रजिंग और चैनलाइजेशन जल्द शुरू की जाएगी। साथ ही, उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया कि नदियों के किनारे खतरे की जद में आने वाले सभी भवन तुरंत खाली कराए जाएं, ताकि किसी बड़ी त्रासदी से बचा जा सके।