राजस्थान में ‘अधिकारी संकट’: 45 अफ़सर, 70 विभाग और ठप जनता के काम!

राजस्थान में फैसलों की रफ्तार धीमी, 70 विभागों का अतिरिक्त प्रभार 45 IAS अधिकारियों के जिम्मे

जयपुर: राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार प्रशासनिक असमंजस और अनिर्णय की स्थिति से जूझ रही है, जिसका सीधा असर शासन व्यवस्था पर पड़ रहा है। पहले से ही आईएएस अधिकारियों की कमी से जूझ रही राज्य सरकार ने अब 45 अधिकारियों को 70 से अधिक विभागों का अतिरिक्त प्रभार सौंप रखा है।

राज्य में 332 IAS पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 264 अधिकारी ही तैनात हैं। इनमें से भी लगभग दो दर्जन अधिकारी या तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, अपने गृह राज्यों में लौट चुके हैं, अध्ययन अवकाश पर हैं या लंबी छुट्टी पर हैं। परिणामस्वरूप, प्रशासनिक कामकाज कई विभागों में ठप पड़ गया है।

महत्वपूर्ण विभाग खाली, फैसलों पर ब्रेक
केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन ठप पड़ा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन को लेकर गंभीर हैं, लेकिन प्रशासनिक अमले की कमी इस दिशा में बाधा बन रही है।

राजनीतिक स्तर पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लोकसभा चुनाव से पूर्व राजनीतिक संतुलन साधने के लिए सात नेताओं को विभिन्न बोर्ड और निगमों में अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन उन्हें अभी तक राज्यमंत्री या कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया है। इससे उनकी भूमिका और अधिकार स्पष्ट नहीं हैं, और वे प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर पा रहे।

कानून-व्यवस्था भी भरोसे पर
पिछले सप्ताह डीजीपी यू.आर. साहू को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पुलिस विभाग के मुखिया का पद खाली हो गया है। फिलहाल यह जिम्मेदारी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के प्रमुख रवि प्रकाश मेहरड़ा को अतिरिक्त प्रभार में दी गई है, जो खुद इस माह के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

अतिरिक्त प्रभार पर चल रहे हैं ये प्रमुख विभाग
राज्य के कई अहम विभाग और संस्थाएं जैसे:

बिजली विभाग

अक्षय ऊर्जा बोर्ड

प्रदूषण नियंत्रण मंडल

जल संसाधन योजना प्राधिकरण

इंदिरा गांधी नहर परियोजना

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग

जयपुर मेट्रो, रीको, राजफैड

पर्यटन, कौशल विकास, देवस्थान, पंचायती राज, शिक्षा, स्वास्थ्य बीमा

दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कोरिडोर

बाल अधिकारिता और बीज निगम

इन सभी में स्थायी अधिकारी नियुक्त नहीं हैं और इन्हें अतिरिक्त प्रभार में चलाया जा रहा है।

इससे निर्णय प्रक्रिया प्रभावित हो रही है और कई महत्वपूर्ण योजनाएं अटकी हुई हैं। प्रशासनिक हलकों में यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *