मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में मैरिट लिस्ट में स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान सभी में एक नई ऊर्जा का संचार करेेगा, नया उत्साह लाएगा तथा भविष्य में जीवन में आने वाली सभी परीक्षाओं में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति और राष्ट्रभक्ति के विचारों को आत्मसात करते हुए विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में बडा योगदान दे रहा है। इसके स्पष्ट प्रमाण हैं कि यदि कोई भी कार्य अच्छी सोच के साथ कड़ी मेहनत के साथ निरंतर किया जाए तो उस कार्य को सफल होने से रोका नहीं जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष में ये कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, इस विशिष्ट कार्यक्रम में उपस्थित होना उनके लिये गर्व की बात है।
उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता के पश्चात यह अनुभव किया गया कि भारत की शिक्षा व्यवस्था को अपनी जड़ों और संस्कृति से जोड़ने की आवश्यकता है इन्हीं विचारों को मूर्त रूप देते हुए 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से गोरखपुर में संस्कारी, चरित्रवान और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाने के दिव्य संकल्प के साथ पहला सरस्वती शिशु मंदिर प्रारंभ हुआ। इसी उद्देश्य से विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान का गठन हुआ। आज विद्या भारती ने भारतीय शिक्षा पद्धति और आधुनिक शिक्षा के मेल से शिक्षा जगत में नई क्रांति फैलाई है। शिक्षा के क्षेत्र में बोया गया वह एक छोटा सा बीज आज एक विशाल वृक्ष बनकर देशभर को शिक्षा और संस्कार की छांव भी दे रहा है। विद्या भारती देश भर में लगभग 13000 औपचारिक एवं 12000 अनौपचारिक विद्यालयों के माध्यम से 35 लाख छात्रों में ज्ञान, करुणा, संस्कृति और सदाचार जैसे मानवीय गुणों को उनके संस्कारों में लाने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती द्वारा आदिवासी बहुल इलाकों, अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले क्षेत्रों में भी सैकड़ों विद्यालय खोले गए हैं, उत्तराखंड में भी विद्या भारती का योगदान अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा विद्या भारती के सात स्कूलों को सैनिक स्कूल के रूप में स्थापित करने हेतु चयन किया गया है।