क्यों अधर में लटकी हैं उत्तराखंड पर्यटन विकास की योजनाएं ?

भ्रपूर कुदरती नजारों और प्रकृति का नायाब उपहार मिलने के बाद भी राज्य सरकारें इसका भरपूर लाभ नहीं उठा पाईं है।वयस्क होते देवभूमि उत्तराखंड में आपने शायद ही किसी चुनाव में पर्यटन को बढ़ावा देने जैसा मुद्दा देखाहो। दुखद है। कि उत्तराखण्ड में न तो कोई नेता और न ही मतदाता इसे लेकर फिक्रमंद और जागरूक नजर आए। यह सवाल उठाना जरूरी है कि पर्यटन के तौर पर इस पर्वतीय राज्य की की पहचान आज भी ब्रिटिश काल के दौरान वजूद में आए ऐसे दो शहर मसूरी और नैनीताल ही बने हुए हैं। पौड़ी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, कौसानी, लैंसडौन, औली और चकराता जैसे खूबसूरत शहर पर्यटन के नक्शे पर अपनी वह पहचान नहीं बना पाए जिसकी जरूरत थी। कहने को तो तीर्थार्टन अवश्य ही प्रदेश की आर्थिकी में अपनी महती भूमिका निभा रहा है लेकिन इसमें भी आई गई सरकारों का कोई यादगार योगदान नहीं रहा है। अगर हम तीर्थाटन और पर्यटन पर नजर दौड़ायें तो हर साल यहां तकरीबन साढ़े तीन करोड़ लोग पहुंचते हैं। इनमें से करीब 45 फीसद तीर्थ यात्री ही होते हैं। हम ये भी नहीं कह सकते हैं कि इस सिम्त में पहल न की गई हो। बहरहाल यहां महाभारत और रामायण सर्किट जैसी न जाने कितनी योजनाओं की घोषणाएं हुईं लेकिन सतह पर इन योजनाओं को सरकारें अमलीजामा नहीं पहना पाईं। समय-समय पर शीतकालीन पर्यटन, ईको टूरिज्म, वेलनेस टूरिज्म (आयुर्वेद और योग),साहसिक पर्यटन जैसी बड़ी-बड़भ् बातें भी होती रहीं लेकिन हालात जस के तस ही है। इसमें कोई शक नहीं है कि पर्यटन उत्तराखंड के सकल घरेलू उत्पाद में अपनी महती भूमिका निभा सकता है। इसमें रोजगार की अपार संभावनाऐं छिपी हैं। बस जरूरत है तो इतनी कि आम जन और राजनीतिक लोग इस सिम्त में अपनी संजीदगी दिखाएं। फिलहाल ये समय मतदाता का है अगर वह सवाल पूछेगा तो सियासी लोग इस मुद्दे को नजरअंदाज भी नहीं कर सकते हैं।

राज्य में आस्था का केंद्र चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ ही सिखों का पवित्र स्थल हेमकुंड साहिब, मुस्लिमों सहित अन्य धर्मो का महत्वपूर्ण स्थल पिरान कलियर शरीफ भी उत्तराखंड में स्थित है। देवभूमि गंगा और यमुना समेत देश की प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल भी है। यहां पर स्थित फूलों की घाटी को यूनेस्को ने विश्व विरासत की फेहरिस्त में शामिल किया है। इसके अलावा तमाम कुदरती नजारों से परिपूर्ण स्थल भी सहज ही देश.दुनिया के पर्यटकों को खींचते हैं।

यहां पर नैनीताल, मसूरी, कौसानी, औली जैसे उत्तर भारत के प्रमुख हिल स्टेशन हैं। हरे.भरे और घने जंगल इसे 12 नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ अभ्यारण्यों के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं। धार्मिक महत्व के स्थल उत्तराखंड की भूमि को देवभूमि का दर्जा प्रदान करते हैं। उत्तराखंड मे ट्रेकिंग, क्लाइंबिंग और राफ्टिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स के केंद्र भी है।

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