कहते हैं कि अपने ही अपनों की राह में कांटे बन जाते हे इसकी बानगी इस बार के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल रही हे। आपको बता दें कि उत्तराखण्ड की 13 सीटें ऐसी हें जहां पर बागियों ने भाजपा और कांग्रेस को पसीने छुड़ा दिए हैं। दोनों ही पार्टियों को इन सीटों पर बागीर उम्मीदवारों की वजह से माथापच्ची करनी पड़ रही है इतना ही नहीं ऐसे हालातों में पार्टियों के समीकरण भी गड़बड़ा कर रह गए हैं। जैसा की मालम है प्रदेश में इस बार के चुनावों में भाजपा और कांग्रेस में के अन्दर बड़े पैमाने पर बगावत हुई है। दोनों ही पार्टियों के कई नेताओं ने टिकट ब्ंटवारे से नाराज होकर चुनावी रण में बागी बनकर ताल ठोकी है।
जिससे ऐसी सीटों पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों की दिक्कतें बढ़ी हुई नजर आ रही हैं। प्रदेश में इस बार भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षा से ज्यादा सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है जिससे पार्टी के उम्मीदवारों के साथ ही रणनीतिकारों की परेशानी बढ़ी हुई है। दोनों ही पार्टियों ने बगावत करने वालों के खिलाफ सख्त रूख अपनाया है लेकिन इसके बावजूद पार्टियों को बागियों की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
यहां आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी आठ सीटों पर बागी प्रत्याशियों के चुनावी रण में होने की वजह से उलझी हुई नजर आ रही है। कोटद्वार में धीरेंद्र चौहान, डोईवाला में जीतेंद्र नेगी, धर्मपुर में बीर सिंह पंवार, रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल, भीमताल से मनोज शाह, धनोल्टी से महावीर रांगड, घनसाली से दर्शन लाल और लालकुंआ सीट से पवन चौहान की वजह से पार्टी के प्रत्याशियों की मुश्किल बढ़ी हुई है। पार्टी इन नेताओं पर कार्रवाई तो कर चुकी है इसके बावजूद समीकरण उलझने का खतरा बना हुआ है।
वहीं कांग्रेस को बगावत की वजह से पांच सीटों पर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के सामने यमुनोत्री सीट पर संजय डोभाल, रुद्रप्रयाग में मातबर सिंह कंडारी, घनसाली में भीमलाल आर्य, रामनगर में संजय नेगी और लालकुंआ सीट पर संध्या डालाकोटी ने पार्टी के उम्मीदवारों को मुश्किल में डाला दिया है।