देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि इस नव सृजित प्रदेश के प्रति कोई भी पार्टी कितनी संवेदनशील नजर आती है ये आपको पता चल जायेगा। आपको बता दें कि उत्तराखंड आपदा के नजरिए से बेहद संवेदनशील राज्य है। गौरतलब है कि जब नौ साल पहले केदारनाथ धाम मे आपदा आई थी उसके जख्म आज तक हरे हैं। फिर उसके बाद पिछले साल रैणी आपदा ने जो जख्म दिया वो जख्म आज भी ताजा हैं। जाहिर है आपदा के मोर्चे पर नाकामी और आपदा को लेकर संवेदनशील न होने के इल्जामात सियासी तौर पर पार्टियां एक.दूसरे पर लगाती आ रही हैं लेकिन दुख की बात है कि भाजपा और कांग्रेस समेत कोई भी सियासी पार्टी अपने मैनीफैस्टो में आपदा को लेकर न तो अपना नजरिया साफ तौर पर रख पाई और न ही किसी ने इस मुद्दे पर कोई खास संवेदनशीलता दिखाई है।
बात कांग्रेस की ही कर लें कांग्रेस ने घोषणा पत्र में केदारनाथ आपदा का जिक्र करते हुए कहा है कि तत्कालीन सीएम असफल रहे तो उन्हें हटा हरीश रावत को सीएम बनाया और एक साल में केदार धाम को सुधारकर यात्रा सुचारू रूप से संचालितकर दी गई। वहां के व्यावसायियों और धार्मिक लोगों की रोजी-रोटी का संकट कम करने, यात्रा सुचारु करने, स्वास्थ्य और सड़क सुविधाओं को दुरुस्त करने को उन्होंने बड़ी उपलब्धि बताया है।
कांग्रेस ने अपने मैनीफैस्टो के पृष्ठ 38 पर आपदा प्रबंधन पर रोडमैप बताया है। इसमें दावा किया है कि आपदा प्रबंधन न्यूनीकरण को विशेषज्ञ समूह का गठन करेंगे। ग्राम पंचायत, स्कूल, कॉलेज, शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थाओं के जरिए आपदा को लेकर जागरूक किया व प्रशिक्षण दिया जाएगा। आपदा पर विस्तृत नीति बनाने व जिओ मैपिंग कर आपदा प्रबंधन पॉलिसी से जोड़ा जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने मैनीफैस्टो दृटि पत्र दावा किया है जिसमे केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का पहला चरण पूरा होने को बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनाया गया है। भाजपा ने इस कार्य को आपदा से उबरने की दिशा में उठाए कदम की बजाए संस्कृति के संरक्षण के तौर पर इंगित किया है। साथ ही अपने दृष्टिपत्र में लिखा है कि यह कार्य भाजपा के संकल्प का एक प्रमाण है। दृष्टि पत्र में भाजपा ने आपदा को लेकर राज्य में हर साल होने वाले भूस्खलन और इससे होने वाले नुकसान को कम करने को लेकर अपना नजरिया रखा है। इसमें भूस्खलन और आपदा की वजह से जीवन,आजीविका और संपत्ति को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सड़क के किनारों के ढालों का स्थिरीकरण करने के उद्देश्य से मिशन हिमवंत शुरू करने का वादा किया है।
खेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल ने अपने मैनीफैस्टो मे सीधे तौर पर तो आपदा का जिक्र नहीं किया है ,लेकिन जल,जंगल और जमीन को लेकर उत्तराखंड में संभावित खतरों की ओर ध्यान खींचने की कोशिश जरूरकी है। उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने खासतौर पर चारधाम परियोजना व जल विद्युत परियोजनाओं से संभावित खतरे को रेखांकित किया है। दल का कहना है कि हम प्रदेश से जुड़े मुद्दों को शुरू से ही उठाते आ रहे हैं।
उनका वादा है कि उत्तराखंड की भौगालिक स्थितियों और उसमें उत्पन्न खतरों को लेकर पार्टी सुरंग आधारित सभी जल विद्युत परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए एक आयोग गठित करेगा। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही इस तरह के कार्यों के लिए आगे निर्णय लिए जाएंगे।
आप पार्टी अपने नेता कर्नल (रिटायर) अजय कोठियाल द्वारा केदारनाथ आपदा में किए गए कार्यों को एक उपलब्धि के तौर पर गिनाते चली आ रही है। पार्टी बता रही है कि कर्नल कोठियाल की टीम ने किस तरह मुश्किल हालात में भी बेहतरीन काम किया यह उनके सोशल मीडिया कैंपन का भी हिस्सा है। आप पार्टी ने भी सीधे तौर विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में उत्तराखंड को संवारने को लेकर पार्टी और कर्नल कोठियाल के विजन को ही सामने रखा है। पार्टी यह भी वादा कर रही है कि कर्नल कोठियाल ने केदारनाथ आपदा में जिस तरह काम किया उसे मॉडल बनाकर उत्तराखंड को विकसित करने के लिए कदम उठाएंगे। बहरहाल आप का घोषणा पत्र अभी जारी नहीं हुआ है।
आपदा के दंश झेलते देवभूति उत्तराखण्ड को हर साल आपदा से एक अनुमान के मुताबिक आठ सौ करोड़ रुपये से लेकर एक हजार रुपये करोड़ तक का नुकसान होता है। सवाल ये उठता हे कि इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी और आपदा में अपनी जान गंवाने वाले और घायलों की आर्थिक सहायता, उनके मुआवजे को लेकर भी किसी तरह का वादा मैनीफैस्टो में क्यों नहीं किया गया है ? इसके साथ ही आपदा के कारण विस्थापन की जद में आए गांवों को लेकर भी कोई जिक्र नहीं किया गया है।