एक जून से शुरू होने जा रहे सत्यापन अभियान के दौरान पकड़े जाने वाले अपात्र राशन कार्ड वालों को अनाज का दस गुना तक ज्यादा मूल्य चुकाना पड़ सकता है। अपात्र राशन कार्ड वालों पर फोकस किया जा रहा है।
देहरादून के चर्चित ट्रांसपोर्टनगर गोदाम घोटाले में भी अधिकारियों से केंद्रीय इकोनामिक कॉस्ट पर ही वसूली की जा रही है। राशन कार्ड सत्यापन में यूपी भी रिकवरी के लिए इसी फार्मूले के साथ आगे बढ़ रहा है। अंत्योदय और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसए) के तहत दो किलो के हिसाब से गेहूं और तीन रुपये किलो के हिसाब से चावल दिया जाता है। एक जून से शुरू होने जा रहे सत्यापन अभियान के दौरान पकड़े जाने वाले अपात्र राशन कार्ड वालों को अनाज का दस गुना तक ज्यादा मूल्य चुकाना पड़ सकता है। अपात्र राशन कार्ड वालों से सरकार केंद्र द्वारा गेहूं चावल के लिए तय इकोनॉमिक कॉस्ट के अनुसार रिकवरी करने का फार्मूला बनाया जा रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य, ढुलान, बोरे आदि के खर्च मिलाकर गेहूं की वास्तविक लागत 22 से 2400 रुपये प्रति कुंतल बैठती है। जबकि चावल का मूल्य 30 रुपये से अधिक हो जाता है। रिकवरी की राशि को इसी अनुपात में रखने पर विचार किया जा रहा है।