नैनीताल: उच्च न्यायालय ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी व मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी की रिकाल एप्लीकेशन पर सुनवाई करी,कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के पूर्व चेयरमैन जस्टिस एल नरसिंहन रेड्डी को नोटिस जारी कर उनसे चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
आपको बता दें फरवरी 2019 में जस्टिस शरद शर्मा की एकलपीठ ने कैट के पूर्व चेयरमैन के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था नोटिस को जस्टिस रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2019 में नैनीताल हाई कोर्ट में चल रही अवमानना याचिका पर अगले आदेश तक सुनवाई स्थगित रखने व और आगे कोई आदेश पारित नहीं करने के निर्देश जारी किए थे। साथ ही इस मामले में याचिकाकर्ता आइएफएस संजीव को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह मेें जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके बाद इस प्रकरण में दोनों पक्षों की ओर से जवाब व प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने की कार्रवाई पूरी हो चुकी थी लेकिन कोविड के कारण सुप्रीम कोर्ट में बहस नहीं हो सकी।
अब 19 नवंबर 2021 को यह मामला फिर लिस्टेड हो गया तो न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ ने इस मामले को बंद करते हुए जस्टिस रेड्डी को अवमानना के आरोप से दोषमुक्त कर दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता संजीव को यह भी छूट दी कि यदि सुप्रीम कोर्ट में उनके हक में फैसला होता है तो वह उच्च न्यायालय में अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए प्रार्थना पत्र दे सकते हैं। इन आदेश के खिलाफ संजीव ने दिसंबर मेें रिकाल प्रार्थना पत्र दाखिल किया। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए 17 नवंबर के आदेश को वापस लेने की याचना की गई थी।
रिकाल प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया कि इस प्रकार के आदेशों से उच्च न्यायालय की अवमानना के प्रकरणों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा साथ ही याद दिलाया कि जस्टिस रेड्डी ने उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालन नहीं किया। न्यायमूर्ति तिवारी की एकलपीठ ने संजीव की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व चेयरमैन जस्टिस रेड्डी को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है अब अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी। यह मामला संजीव के एसीआर में जीरो अंकन के संबंधित है।
गौरतलब है कि आइएफएस संजीव की चरित्र पंजिका में केंद्र सरकार ने जीरो अंकन किया था। इस आदेश को संजीव ने नैनीताल कैट की बैंच में चुनौती दी थी। इसी बीच भारत सरकार ने कैट चेयरमैन के समक्ष याचिका दायर कर इस मामले को दिल्ली कैट में स्थानांतरित करने की याचिका दायर की थी जिसे तत्कालीन कैट चेयरमैन ने स्वीकार कर लिया तो संजीव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कैट चेयरमैन के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में नैनीताल कैट की बैंच को सुनवाई करने के निर्देश दिए इसके बाद भी कैट चेयरमैन ने खुद सुनवाई जारी रखी तो संजीव ने अवमानना याचिका दायर की थी।