देहरादून: जैसे ही राज्य में विधान सभा चुनाव का बिगुल फूंकता है न जाने कितनी सियासी पार्टियां रचुनावी रण में ताल ठोंक देती हैं। बहरहाल छोटे से प्रदेश देवभूमि उत्तराखण्ड में भी सारे सियासी दल जनता को लुभाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे मे जब नामांकन दाखिल करने का वक्त गुजर गया और नाम वापसी के साथ ही उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी होने का इंतजार करने लगे हैं। इन सब क्रिया कलापों के बीच इस बात का जानना बहुत ही जरूरी हो जाता है कि आखिर इस बार चुनावी युद्ध के लिए कौन-कौन से रणवांकुरे मैदान में है। आपको बता दें कि चुनावी रण में कई सियासी दल और निर्दलीय भी अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं। ऐसे में तकरीबन डेढ़ दर्जन से ज्यादा सियासी दलों ने चुनावी रण में ताल ठोकी है। हालांकि इनमें कुछ ऐसे हैं जिनके नाम को शायद ही उत्तराखण्ड के वोटर जानते होंगे ।ऐसे ही गुमनाम दल के लोग जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं।
अगर हम बात करें भाजपा,कांग्रेस,उत्तराखंड क्रांति दल,आम आदमी पार्टी,समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी को तो राज्य की जनता जानती है लेकिन इसके अलावा एक दर्जन से ज्यादा सियासी दलों ने अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं। हालांकि आजाद उम्मीदवार भी कम नहीं लेकिन इस बार पिछले चुनावों की तुलना में देखें तो निर्दलीय उम्मीदवार घटे हैं। इसकी एक वजह कोरोना महामारी के कारण लगाई गई पाबंदियां भी हो सकती है। बहरहाल जो भी हो लेकिन सियासी दलों ने चुनावी पारे को गर्म किया हुआ है। अगर हम विधानसभा वार बात करें तो देहरादून की धर्मपुर विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा दलों ने चुनावी बिगुल फूंका है।यहां प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा छह नए दल चुनावी रण में उतर रहे हैं। सवाल ये उठता है कि ये मौसमी सियासी दल जनता को अपने पक्ष में कितना करते हैं या फिर वोट कटुवा बनकर प्रमुख पार्टियों में संधमारी करके कितना नुकसान पहुचाते हैं यह तो मतगणना परिणाम घोषित होने पर ही पता चलेगा। लेकिनये बात बिल्कुल सच है कि इन तमाम छोटे-बड़े सियासी दल अपनी-अपनी जीत का दावा पूरे जोश व आत्मविश्वास के साथ कर रहे हैं लेकिन इनके दावों में खोखलापन और स्वार्थ की राजनीति चमकाने की पराकाष्ठा ज्यादा नजर आ रही है। ऐसे ही दल क्षेत्र की जनता को कनफ्यूज करने का काम करते हैं।