Bihar :शिवदीबिहार सरकार ने 14 आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया है। इसकी अधिसूचना गृह विभाग ने जारी कर दी है। प वामन राव लांडे को पूर्णिया, विकास कुमार को बेगूसराय और बाबूराम को तिरहुत क्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक की जिम्मेदारी मिली है।
बिहार में नए डीजीपी आलोक राज पदभार संभालते ही एक्शन मोड में दिखने लगे हैं। इस बदलाव की शुरुआत राज्य के 14 आईपीएस अधिकारियों के तबादले से हुई है। गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना बुधवार को जारी की है। ट्रांसफर होने वाले 14 आईपीएस अधिकारियों में पांच आईजी, सात डीआईजी और दो एसपी शामिल हैं। कुछ अधिकारी वेटिंग में थे उन्हें अपराध पर नियंत्रण करने के लिए नयी जिम्मेदारी दी गई है, ताकि अपराध पर अंकुश लग सके।
इस सूची में तिरहुत क्षेत्र मुजफ्फरपुर में पुलिस महानिरीक्षक पद पर पदस्थापित 2006 बैच के शिवदीप वामन राव लांडे भी हैं, जिन्हें पूर्णिया की जिम्मेदारी दी गई है। कहा जाता है कि वह जिस क्षेत्र में जाते हैं वहां अपराधी क्षेत्र छोड़कर लापता हो जाते हैं। उनके अलावे पटना में पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पदस्थापित 2002 बैच के राकेश राठी हैं, जिन्हें पुलिस महानिरीक्षक (प्रशिक्षण) पटना की जिम्मेदारी मिली है। पुलिस महानिरीक्षक प्रशिक्षण मैं पदस्थापित 2003 बैच के राजेश कुमार अब मिथिला क्षेत्र दरभंगा के पुलिस महानिरीक्षक की जिम्मेदारी संभालेंगे। उन्हें बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस में पुलिस महानिरीक्षक की अतिरिक्त जिम्मेदारी थी। पुलिस महानिरीक्षक (सुरक्षा) में पदस्थापित 2004 बैच के विनय कुमार को पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय पटना की जिम्मेदारी मिली है। वह पुलिस महानिरीक्षक (सुरक्षा) के अतिरिक्त प्रभार पर भी रहेंगे।
पदस्थापन की प्रतीक्षा में 2006 बैच के पुलिस अधीक्षक पंकज कुमार राज अब नागरिक सुरक्षा के पुलिस अधीक्षक सह सहायक निदेशक की जिम्मेदारी संभालेंगे। पूर्णिया में पुलिस उपमहानिरीक्षक के पद पर पदस्थापित 2008 बैच के विकास कुमार को बेगूसराय क्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक की जिम्मेदारी मिली है। मिथिला क्षेत्र दरभंगा के पुलिस उपमहानिरीक्षक 2009 बैच के बाबूराम को तिरहुत क्षेत्र मुजफ्फरपुर के पुलिस उपमहानिरीक्षक की जिम्मेदारी मिली है। राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो में पुलिस उपमहानिरीक्षक के पद पर पदस्थापित 2010 बैच के दीपक बरनवाल को पुलिस उपमहानिरीक्षक (सुरक्षा) विशेष शाखा में पदस्थापित किया गया है। पुलिस उपमहानिरीक्षक (प्रशासन) में पदस्थापित 2010 बैच के निलेश कुमार को सारण क्षेत्र (छपरा) के पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी दी गई है। विशेष शाखा में पुलिस उपमहानिरीक्षक (सुरक्षा) के पद पर पदस्थापित 2010 बैच के अभय कुमार लाल को राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो में पुलिस उपमहानिरीक्षक की जिम्मेदारी दी गई है। बेगूसराय में पुलिस उपमहानिरीक्षक के पद पर पदस्थापित 2010 बैच के रशीद जमाँ अब पटना पुलिस उपमहानिरीक्षक (प्रशासन) की जिम्मेदारी संभालेंगे। नागरिक सुरक्षा में पुलिस अधीक्षक सह सहायक निदेशक के पद पर पदस्थापित 2012 बैच के विजय प्रसाद को सहायक पुलिस महानिरीक्षक प्रशिक्षण की जिम्मेदारी मिली है। पदस्थापन की प्रतीक्षा में 2014 बैच के पुलिस अधीक्षक दयाशंकर को पटना के ईआरएसएस में पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी मिली है। पुलिस महानिरीक्षक के पद पर प्रतीक्षारत 2010 बैच के शालीन को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस पटना के पुलिस महानिरीक्षक की जिम्मेदारी मिली है। वह विशेष कार्य बल के पुलिस महानिरीक्षक के भी अतिरिक्त प्रभार में रहेंगे। बिहार के नए डीजीपी आलोक राज के आने के बाद बड़ी संख्या में IPS ऑफिसरों का तबादला हुआ है। बिहार सरकार ने एक साथ 14 आईपीएस को इधर से उधर किया है। जिसमें 5 आईजी, 7 डीआईजी शामिल हैं। गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की है। इस सूची में आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे को भी नयी पोस्टिंग मिली है। अपने काम करने के तेज तर्रार तरीके की वजह से सिंघम के नाम से मशहूर शिवदीप लांडे को पूर्णिया का आईजी बनाया गया है। वहीं पूर्णिया के डीआइजी के रूप तैनात आईपीएस विकास कुमार को बेगुसराय के डीआइजी की जिम्मेदारी दी गई है। शिवदीप लांडे महाराष्ट्र से अपना कार्यकाल पूरा कर बिहार लौटने के बाद सहरसा के डीआईजी बनाये गये थे। अब ऐसे में शिवदीप लांडे को सीमांचल (पूर्णिया ) की जिम्मेदारी मिली है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि वह पहले की तरह यहां भी अपने कार्यकाल के दौरान अपराधियों पर ठंडे बरसाएंगे। शिवदीप लांडे के आईजी बनने का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद पूर्णियावासियों को उनके आने की काफी उत्सुकता थी। गौरतलब है कि आईजी शिवदीप लांडे को लोग सुपर कॉप और सिंघम की उपाधि से नवाजते हैं। वे पटना, अररिया सहित समेत कई जिलों के एसपी रह चुके हैं। वहीं पूर्णिया में भी वह एसपी के प्रभार में रह चुके हैं। वह जिस जिले के एसपी बनाये जाते थे, उस जिले की जनता उनका पुरजोर स्वागत करती थी। उनकी एंट्री से ही अपराधी जिला छोड़ने को मजबूर हो जाते थे।