रुड़की के नारसन ब्लॉक में मंगलवार को पीआरडी (PRD) जवानों का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा। जवानों ने अपने ही अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और मनमानी ड्यूटी लगाने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। नारसन ब्लॉक परिसर में जुटे जवानों ने कहा कि उनकी लगातार अनदेखी हो रही है और उन्हें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है।
650 रुपये सैलरी और 40 किलोमीटर दूर ड्यूटी
पीआरडी जवानों ने बताया कि उनकी मासिक तनख्वाह पहले ही बेहद कम है। कई जवानों को प्रतिदिन मात्र 650 रुपये मिलते हैं, ऐसे में अधिकारियों द्वारा 30 से 40 किलोमीटर दूर ड्यूटी लगाना उनके लिए आर्थिक बोझ से कम नहीं है। जवानों ने कहा कि जितना पैसा उन्हें वेतन के रूप में मिलता है, उसका बड़ा हिस्सा यात्रा में खर्च हो जाता है। इससे घर का खर्च चलाना बेहद मुश्किल हो गया है।
ड्यूटी के नाम पर रिश्वत के आरोप
जवानों का आरोप है कि अधिकारियों द्वारा ड्यूटी लगाने में भेदभाव किया जा रहा है। नारसन में रहने वाले जवानों को हरिद्वार भेजा जा रहा है, वहीं हरिद्वार के जवानों को नारसन में तैनात कर दिया जाता है। जवानों ने कहा कि यह सब सोची-समझी साजिश है ताकि उनसे ड्यूटी के नाम पर रिश्वत वसूली जा सके। एक जवान ने तो खुलकर दावा किया कि अधिकारियों ने ड्यूटी तय करने के लिए उससे सीधे पैसे मांगे।
जवाब देने से बचते रहे अधिकारी
पीआरडी जवानों के गंभीर आरोपों के बावजूद इस पूरे मामले पर संबंधित अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। जवानों ने कहा कि वे लंबे समय से इस अन्याय को झेल रहे थे, लेकिन अब उनका सब्र का बांध टूट चुका है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे बड़े आंदोलन की राह पर जाएंगे।
जवानों की पीड़ा
हंगामे में शामिल एक जवान ने भावुक होकर कहा –
“650 रुपये की सैलरी में हम घर कैसे चलाएं? ऊपर से रोजाना 40 किलोमीटर की ड्यूटी में आने-जाने का किराया ही निकल जाता है। अब मजबूरी में आवाज उठानी पड़ रही है।”
प्रशासन पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं। अगर जवानों के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल भ्रष्टाचार का मामला है बल्कि जवानों की मेहनत और सेवाभाव के साथ अन्याय भी है।