सिंगापुर में उत्तराखंड गायकों ने छोड़ी अपनी छाप, लोकगीतों से बांधा समा

सिंगापुर में हुए कौथिक समारोह ने सबके दिलों पर अपनी सांस्कृतिक कार्यक्रम के एक अलग छाप छोड़ दी है कहते है कोई भी लोग किसी भी शहर देश बस जाएं लेकिन अपनी संस्कृति से जुड़े रहते है, ऐसा ही कुछ इस कार्यक्रम में हुआ, जब “नाचन कु छ मौका भी, नाचन कु छ टैम भी” गाना गायक द्वारा गायक गया तो वह बसे सारे उत्तराखंडवासियों के पैर थरकने लगे इसके बाद वह के लोगों ने जमकर गढ़वाली गानों में नाचे।  इस समारोह में उत्तराखंड की प्रसिद्ध गायिका मीणा राणा, गायक इन्दर आर्य, अमित खेर; संगीतकार विनोद चौहान, विजय बिष्ट, सतेंद्र सिंह; तथा आजकल की चर्चित डांस परफ़ॉर्मर श्वेता महारा शामिल हुए।

लोकनृत्य में प्रस्तुति देते हुए उत्तराकंड के कलाकार
लोकनृत्य में प्रस्तुति देते हुए उत्तराखंड के कलाकार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कौथिग समारोह के आयोजकों और कलाकारों को सिंगापुर में इसके सफल आयोजन के लिए अपना एक हार्दिक शुभ कामनाओं भरा सन्देश भी भेजा।  जिससे उत्तराखंड कलाकारों और गायिकों को हौसला मिला।

सभी उत्तराखंड से गए गायकों, संगीतकारों तथा वहाँ उत्तराखंड से बसे लोकल कलाकारों ने स्टेज पर परफॉर्म करके सब दर्शकों का मन मोह लिया|  परन्तु इस कौथिग समारोह में स्टेज पर सबसे ज्यादा धूम मचाया अभी अभी “मंडाण मेलोडीज यूट्यूब चैनल” पर  रिलीज़ हुए गाने “नाचन कु छ मौका भी, नाचन कु छ टैम भी”  ने, जिसे आज के उभरते गीतकार तथा गायक रवि डबराल ने लिखा और गाया है|

इस गाने की पारम्परिक देवभूमि उत्तराखण्ड की ढोल, दमाऊ, मशकबीन, हुड़का से सजी धुन तथा मंडाण बीट्स और गाने के बोलों ने वहाँ सिंगापुर में बैठे दर्शकों को सीधे अपनी जन्मभूमि और मातृभूमि देवभूमि उत्तराखंड से जोड़ दिया और इस गाने पर हॉल में बैठे सारे दर्शक झूम और नाच उठे। इस डांस को स्टेज पर परफॉर्म किया रवि डबराल, भुपल बिष्ट, भूपेंद्र बिष्ट, जगदम्बा नौटियाल और श्याम राजपूत ने। कुल मिला कर सिंगापुर में यह कौथिग समारोह एक बहुत ही सफल और यादगार आयोजन रहा। जिसने सब के दिलों में अपनी अलग पहचान बना दी।

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