जम्मू-कश्मीर:- उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों से संबंध रखने के आरोपी जम्मू-कश्मीर सरकार के दो कर्मचारियों को वीरवार को बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त किए गए कर्मियों में पुलिस विभाग का सहायक वायरलेस ऑपरेटर बशारत अहमद मीर और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) का वरिष्ठ सहायक इश्तियाक अहमद मलिक शामिल है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2) (सी) के तहत यह कार्रवाई की है। यह कार्रवाई गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई सुरक्षा समीक्षा बैठक के दो दिन बाद की गई है। एलजी प्रशासन ने वीरवार को कर्मचारियों की बर्खास्तगी से संबंधित आदेश जारी कर दिए। श्रीनगर निवासी बशारत अहमद मीर 2010 से जम्मू-कश्मीर पुलिस में सहायक वायरलेस ऑपरेटर तैनात था।
2017 तक जम्मू-कश्मीर पुलिस की विभिन्न इकाइयों में तैनात रहा। हालांकि, 2017 में न्यायालय के एक फैसले के बाद बशारत व अन्य पुलिस कांस्टेबल ऑपरेटरों को नौकरी से निकाल दिया था। 2018 में कोर्ट के एक अन्य फैसले के बाद उसे फिर से वायरलेस असिस्टेंट के रूप में नियुक्त किया गया था। दिसंबर, 2023 में उसके खिलाफ देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के इनपुट मिले थे। वह पाकिस्तानी खुफिया ऑपरेटिव के संपर्क में था और सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करता था। उसकी तैनाती अति संवेदनशील प्रतिष्ठान में भी रही थी। सरकारी तंत्र में उसकी मौजूदगी सुरक्षा के लिए खतरा था, जिसको देखते हुए उसे बर्खास्त किया गया है।
लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ सहायक इश्तियाक अहमद मलिक 2000 में तैनात हुआ था। वह जमात-ए-इस्लामी और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी प्रतिबंधित संगठनों के लिए काम कर रहा था। आतंकी मददगारों का नेटवर्क भी तैयार करता था। उसने दक्षिण कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई थी। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों से संबंध रखने के आरोपी 70 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को अब तक बर्खास्त कर चुके हैं। ये कदम भारत सरकार की व्यापक सुरक्षा रणनीति के तहत उठाए गए।
एलजी ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को आतंकियों और उनके सहयोगियों की पहचान करने का निर्देश दिया है।पांच मई, 2022 को सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार किए गए हिजबुल आतंकी मोहम्मद इशाक से जुड़े एक मामले की जांच शुरू की। इस दौरान इश्तियाक का उससे संबंध सामने आया। पूछताछ के दौरान इशाक ने खुलासा किया कि इश्तियाक आतंकवादियों को पनाह, भोजन और रसद मुहैया करा रहा है। इसके बाद सुरक्षाबलों ने उसे 17 मई, 2022 को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सामने आया कि हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की हत्या के बाद इश्तियाक की हिंसा, आगजनी और हड़ताल के लिए भीड़ जुटाने में अहम भूमिका रही है। नौ जुलाई 2016 को एक हिंसक भीड़ ने उसके नेतृत्व में लारनू पुलिस चौकी पर हमला भी किया था।
आतंकियों से संबंध रखने के आरोपियों की बर्खास्तगी पर सवाल भी उठते रहे हैं। फरवरी में तीन सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा था- कानून कहता है कि दोषी साबित होने तक हर कोई निर्दोष है, उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए था। पीडीपी, अवामी इत्तिहाद पार्टी के साथ ही हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने भी बर्खास्तगी पर सवाल उठाए थे।