दीपो का त्यौहार दीपावाली हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है यह दिन अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता हैं, दीपावली का इंतजार लोगों को काफी समय से रहता है, दीपवाली के त्योहार की शुरूआत धनतेरस से की जाती है। दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की तेरहवीं या त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी जी और कुबेर देव की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन कोई भी समान खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन लोग बर्तनों की खरीदारी के अलावा सोने-चांदी की चीजें भी खरीदते हैं। साथ ही मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती है।
धनतेरस की तिथि, पूजा विधि और महत्व के बारे में…
इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस 23 अक्टूबर 2022 को है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन सोना, चांदी या बर्तन आदि खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ – 22 अक्टूबर 2022, शाम 6 बजकर 02 मिनट से, त्रयोदशी तिथि का समापन- 23 अक्टूबर 2022, शाम 6 बजकर 03 मिनट पर, इस दिन धन्वंतरि देव की पूजा का शुभ मुहूर्त – 23 अक्टूबर 2022 रविवार, 5 बजकर 44 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक है।
धनतेरस पूजा विधि
हिन्दू धर्म में हर पूजा का अपना अलग महत्वपूर्ण है व हर पूजा को करने का अलग विधि विधान है तो चलिए आज हम जानते है धनतेरस की पूजा का विधि विधान, धनतेरस के दिन शाम के वक्त शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर कुबेर और धन्वंतरि की स्थापना करें। मां लक्ष्मी व गणेश की भी प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। फिर दीप प्रज्वलित करें और विधिवत पूजन करना आरंभ करें।
तिलक करने के बाद पुष्प, फल आदि चीजें अर्पित करें। कुबेर देवता को सफेद मिष्ठान और धन्वंतरि देव को पीले मिष्ठान का भोग लगाएं। वहीं हिन्दू धर्म में मंत्रों का भी महत्व माना जाता है इसलिए धनतेरस के दिन पूजा के दौरान ‘ऊँ ह्रीं कुबेराय नमः’ इस मंत्र का जाप करते रहें। भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने के लिए इस दिन धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
यह भी देखें:-https://www.facebook.com/parvatsankalpnews/videos/665464518216613/
यह भी पढ़ें :-https://parvatsankalpnews.com/moti-dungri-ganesh-ji-temple-situated-in-the-hill-of-jaipur-where-every-wish-is-fulfilled/