हल्द्वानी:- भारतीय संस्कृति की पहचान उसकी विविधताओं और त्यौहारों में है। हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन के रूप में मनाते है। सनातन धर्म में रक्षाबंधन हिन्दुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले सतयुग में माँ लक्ष्मी ने राजा बली को रक्षा सूत्र में बांधकर इस पर्व का शुभारम्भ किया था। महाभारत काल में युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण का हाथ घायल हो गया था। उस समय द्रौपदी ने साड़ी चीरकर उनकी उंगली में बांधी थी। जिसके बाद श्री कृष्ण ने उनको सदेव रक्षा करने का वचन दिया था। रेशमी धागे से शुरू हुआ य़ह अटूट विश्वास व भाई बहन के अटूट प्रेम का सम्बन्ध आज आधुनिक दौर में नया स्वरूप ले चुका है। इस बार देश भर में 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाइयों पर एक से एक राखियाँ बाँधकर कलाई सजाएँगी। पिछले कुछ सालों से न सिर्फ रेशम के धागे बल्कि एक से एक डिजाइनर राखी बाजार में उपलब्ध है। यहां तक कि बहने भाइयों की कलाई पर बांधने के लिए सोने व चांदी की राखियां भी पसंद कर रही है। हल्द्वानी के ऊँचापुल स्थित श्री महा लक्ष्मी ज्वेलर्स के स्वामी अजय वर्मा बताते हैं कि इस बार चांदी कि राखी सहित क्रिस्टल राखी व कोलकाता की राखी भी खूब बिक रही है। उन्होंने बताया कि चांदी की राखी देश में ही नही बल्कि सिंगापुर, यूके, यूएसए तक भेजी जा रही है। चांदी की राखियां राजकोट से तैयार होकर आती है। जिसे खासतौर पर मीणा, चांदी, जरकन व स्टोन से बनाया जाता हैं। चांदी की राखियो में भगवान गणेश, राम, भाई, मां, ब्रो, श्रीराधा-कृष्ण के डिजाइन कि राखिया ट्रेंड कर रही हैं।