जयपुर के पहाड़ी में बसी मोती डूंगरी गणेश जी की मंदिर, जहां होती है हर एक मनोकामना पूरी

ऊँ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने।
दुष्टारिष्टविनाशाय पराय परमात्मने॥

 

भारत में बड़े हर्षोल्लास से गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है, वहीं इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त, 2022 को मनाया जाएगा, गणेश चतुर्थी, जिसे गणेशोत्सव के रूप में भी जाना जाता है, 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। गणेश विसर्जन उत्सव का अंतिम दिन होता है, इस साल गणेश विसर्जन 9 सितंबर को है। आज हम आपको बताने जा रहे भारत देश में गणेश जी की वो मंदिर जहां जाकर हर भक्त की मनोकामना हो जाती है पूर्ण, जो बसा है राजस्थान के जयपुर में,

जयपुर के पहाड़ी में बसी गणेश जी की मोती डूंगरी मंदिर लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, यहां प्रकृति से घिरी हुई है, और मंदिर के चारों ओर का वातावरण शांत है, वहीं मोती डूंगरी पैलेस से घिरा है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है मंदिर मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास 400 साल पुराना माना जाता है। मोती डंगूरी गणेश मंदिर देवी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता विघ्नघर्ता गणेश जी को समर्पित है, इस मंदिर का निर्माण 1761 में सेठ जय राम पल्लीवाल की निगरानी में किया गया था।

दो किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ मंदिर भारतीय उपमहाद्वीप की वास्तुकला की प्रगति का प्रमाण है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर तीन गुंबदों से सुशोभित है जो भारत में तीन प्रमुख धर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जहाँ मंदिर, जटिल पत्थर की नक्काशी के अलावा, संगमरमर पर बनाई गई पौराणिक छवियों के साथ अपने उत्कृष्ट अक्षांश के लिए जाना जाता है, जो कला-प्रेमियों के लिए एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करते हैं। जो श्रद्धालुओं और कला-प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों के घूमने के लिए भी जयपुर के सबसे आकर्षक मंदिरों में से एक है।

काफी दिलचस्प हैं मोती डंगूरी गणेश जी के मंदिर का इतिहास

कहते है हर मंदिर के पीछे कुछ राज कुछ रहस्य और आस्था जुड़ी होती है, वैसे ही मोती डंगूरी गणेश जी की मंदिर को मेवाड़ के राजा ने स्थापित किया था, इसे जुड़ी कहानी कुछ ऐसी है यहां रहने वाले पुराने लोगों का कहना है कि एक बार राजा भगवान गणेश की मूर्ति के साथ यात्रा से लौट रहे थे। उन्होंने निश्चय किया कि उनकी बैलगाड़ी को जहां भी रोका जायेगा वहां ही गणेश जी एक मंदिर बनाएंगे और गाड़ी डुंगरी पहाड़ी के नीचे रुकी। तो उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण राजा और सेठ जय राम पल्लीवाल के निरीक्षण के तहत किया गया था जो आज यह पूरी शान के साथ श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

मोती डूंगरी मंदिर जयपुर के सबसे बड़े गणेश मंदिरों में से एक है। मंदिर में रोजाना हजारों भक्त आते हैं। यहां पर गणेशजी को संकटमोचन हनुमान की तरह सिंदूर को चोला चढ़ता है और भव्य श्रृगांर होता है।  आंकड़ों के मुताबिक, हर साल लगभग 1.25 लाख श्रद्धालु मंदिर आते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान गणेश बुध के देवता हैं,  इसलिए हर बुधवार का दिन मंदिर परिसर के अंदर एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर परिसर में एक शिव लिंग भी है जो महा शिवरात्रि की रात को खुलता है। जो मंदिर को अद्वितीय बनाता है, मंदिर के दक्षिणी भाग में एक छोटी पहाड़ी पर लक्ष्मी और नारायण को समर्पित एक मंदिर भी मौजूद है। जिसे ‘बिड़ला मंदिर’ या ‘बिड़ला मंदिर’ नाम दिया गया है।

 

 

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