बंगलूरू में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे द्वारा दिए गए बयान के खिलाफ दायर एक आपराधिक मामले में आगे की जांच पर रोक लगा दी है। हालांकि चुनाव आयोग के फ्लाइंग स्क्वाड ने मामला शुरू किया, जो कॉटनपेट पुलिस स्टेशन में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123(3), 123(3ए) और 125 के तहत दर्ज किया गया था।
मामले में आगे की जांच पर कोर्ट ने लगाई रोक
एकल न्यायाधीश पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश कृष्ण एस दीक्षित ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया और चल रही जांच को रोक दिया। न्यायाधीश ने करंदलाजे को अपने सार्वजनिक बयानों में सावधानी बरतने की सलाह दी और इस बात पर जोर दिया कि सभ्य समाज को बनाए रखने के लिए सभी दलों के नेताओं को संयम दिखाना चाहिए। उन्होंने इस तरह की मर्यादा बरकरार नहीं रखने पर भारत के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की।
शोभा करंदलाजे ने दिया था विवादित बयान
मंगलवार को बंगलूरू में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान करंदलाजे ने एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि तमिलनाडु से आने वाले लोग यहां बम लगाते हैं, दिल्ली से आने वाले लोग ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते हैं और केरल से आने वाले कुछ लोग ‘एसिड हमलों’ में शामिल होते हैं। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी।
शोभा करंदलाजे के बयान पर डीएमके आक्रामक
सरकार के वकील ने मामला दर्ज करने में फ्लाइंग स्क्वाड अधिकारी की संलिप्तता का उल्लेख किया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की एक अलग धारा के तहत संभावित आरोपों का सुझाव दिया।तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने करंदलाजे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि 1 मार्च को बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में हुए आईईडी विस्फोट के लिए तमिलनाडु का एक व्यक्ति जिम्मेदार था। इस दौरान डीएमके ने अपनी शिकायत में कहा कि मंत्री के बयान ने तमिलनाडु के लोगों को चरमपंथी के तौर पर दर्शाया है।