भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस दौरे पर हैं। गुरुवार को विदेश मंत्री ने रूस के भारतविदों से सेंट पीट्सबर्ग में मुलाकात की। इस दौरान एक भारतविद ने रामचरितमानस का हिंदी अनुवाद कर विदेश मंत्री एस जयशंकर को हैरान कर दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि ‘रिश्तों के निर्माण में संचार और एक दूसरे के प्रति समझ जरूरी है। आज हम एक बहुध्रुवीय दुनिया में रह रहे हैं, जहां पुनर्संतुलन हो रहा है। यह ऐसी दुनिया नहीं है जहां सिर्फ कुछ देशों का दबदबा हो। अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करते समय मेरा फोकस भारतीय विशेषताओं के साथ वैश्विक संबंध बनाने पर है।’
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव के बीच मुलाकात हुई। रूसी विदेश मंत्री ने बैठक के बाद भारत की विदेश नीति की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी20 देशों का जो नई दिल्ली में सम्मेलन हुआ था, वह इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे एक प्रभावशाली भूमिका के साथ न्याय किया जाता है। लावारोव ने कहा कि जी20 सम्मेलन में जो विज्ञप्ति जारी हुई, वह एक पक्षीय दस्तावेज नहीं था बल्कि उसमें सभी के हितों का ध्यान रखा गया। रूसी विदेश मंत्री ने अपने बयान में कहा कि भारत की विदेश नीति ना सिर्फ रूस के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है कि कैसे भारत ने जी20 में शानदार सफलता हासिल करते हुए सभी देशों को सम्मान दिया और यूएन चार्टर का भी पालन किया।
भारतविद क्या है
भारतविद या इंडोलॉजिस्ट (Indologist) उन लोगों को कहा जाता है, जो भारतीय साहित्य, इतिहास, दर्शन आदि की पढ़ाई कर रहे हैं। भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं, ग्रन्थों, इतिहास एवं संस्कृति का अध्ययन भारतविद्या (Indology) कहलाती है। यह एशिया अध्ययन का एक भाग है। इसे भारत-अध्ययन (Indic Study) या दक्षिण-एशियायी अध्ययन भी कहा जाता है।