जम्मू-कश्मीर:- जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के रामबन में भारतीय सेना ने राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर संपर्क बहाल करने के लिए अभियान शुरू किया है। सड़क साफ करने और उसे बहाल करने में 48 घंटे तक का समय लग सकता है। फंसे हुए यात्रियों को राहत पहुंचाने के लिए बनिहाल, कराचियाल, डिगदौल, मैत्रा और चंदरकोट से त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) को तेजी से तैनात किया गया। जरूरत पड़ने पर आगे की सहायता के लिए आठ सेना की टुकड़ियां (प्रत्येक की संख्या 1/1/18) फिलहाल प्रमुख स्थानों पर स्टैंडबाय पर हैं।
भूस्खलन से NH-44 लगातार दूसरे दिन बंद
भारतीय सेना के अनुसार, केआरसीएल, सीपीपीएल और डीएमआर सहित नागरिक निर्माण फर्मों के जेसीबी और भारी उपकरणों ने बाधित राजमार्ग पर सफाई अभियान शुरू कर दिया है। भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 44 बंद होने से उधमपुर में बड़ी संख्या में वाहन रुके हैं। आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर बहाली का काम चल रहा है, जो कल की लगातार बारिश, ओलावृष्टि और भूस्खलन के बाद लगातार दूसरे दिन भी बंद है। भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर वाहनों की आवाजाही बंद होने के कारण लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए पैदल यात्रा कर रहे हैं। वहीं, एक दूल्हा भूस्खलन के बाद सड़कें बंद होने की वजह से पैदल ही अपनी शादी के लिए जा रहा है। दूल्हे मशकूर ने कहा कि आज मेरी शादी का दिन है, कल हुई भारी बारिश की वजह से यह स्थिति है… हमें पैदल ही जाना है… हमने सुबह 6 बजे यात्रा शुरू की।
DC की टीम और सेना का सराहनीय कार्य
हमने अपनी गाड़ियां पीछे पार्क कर दीं और अब हम बाकी रास्ता पैदल ही तय करेंगे। हमें अभी भी 7-8 किलोमीटर और चलना है। हम दुल्हन को उसी रास्ते से लेकर आएंगे, क्योंकि सड़कें साफ नहीं हुई हैं। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि एनएच 44 को जल्द से जल्द साफ किया जाए। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ट्वीट किया, “कल हुई मूसलाधार ओलावृष्टि के बाद, ऊर्जावान DC श्री बसीर हक के नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम कल रात से ही सराहनीय कार्य कर रही है, लेकिन समय रहते भारतीय सेना की मदद के लिए उन्हें धन्यवाद देना भी जरूरी है, जिसने स्थानीय लोगों को राहत पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सेना ने चिकित्सा सहायता शिविर लगाए हैं, जरूरी दवाएं वितरित की हैं और भोजन तथा स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की है। उन्होंने प्रभावित लोगों के लिए चाय और भोजन की विशेष व्यवस्था भी की है। कहने की जरूरत नहीं है कि भारतीय सेना न केवल युद्ध के समय बल्कि शांतिकाल में भी राष्ट्र की सेवा में लगी रहती है।”

रामबन जिले में आंधी, बारिश और ओलावृष्टि के बीच हुए भूस्खलन से बागना पंचायत के तीन लोगों की मौत हो गई। इनमें दो सगे नाबालिग भाई और एक बुजुर्ग शामिल हैं। करीब 50 मकान ढह गए हैं। 200 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। एक दर्जन से अधिक गाड़ियां पहाड़ों से आए मलबे में दब गई हैं। दो वाहन बारिश में उफनाए नालों से वह गए। सैकड़ों वाहन रास्ते में फंसे हैं।
चंदरकोट से मरोह गांवों में तबाही
कुदरत के इस कहर से चंदरकोट और मरोह तक 18 किलोमीटर की परिधि में बसे एक दर्जन से ज्यादा गांवों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। रामबन जिला मुख्यालय के सातों वार्डों में पानी घुस गया है। रविवार शाम पांच बजे से फिर तेज बारिश शुरू हो गई थी। अगले 48 घंटे मौसम और खराब रहने की चेतावनी जारी की गई है। फंसे लोगों को निकालने के लिए राहत और बचाव कार्य जारी है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मोर्चा संभाले हुए हैं। सेना भी मदद के लिए आगे आई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रविवार सुबह करीब 11 बजे जैसे ही बारिश का कहर थोड़ा थमा, उसी बीच बागना के मोहम्मद हनीफ का घर भरभराकर गिर गया। इसमें दबकर उनके दो बेटों आकिब (14) और शाकिब (16) की मौत हो गई। क्यूआरटी टीम के एसपीओ बशीर मागरे के मुताबिक मरने वालों में इसी गांव के 75 वर्षीय मानीराम भी शामिल हैं। उन्हें भी क्यूआरटी टीम ने मलबे के ढेर से निकाला।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रविवार सुबह करीब 11 बजे जैसे ही बारिश का कहर थोड़ा थमा, उसी बीच बागना के मोहम्मद हनीफ का घर भरभराकर गिर गया। इसमें दबकर उनके दो बेटों आकिब (14) और शाकिब (16) की मौत हो गई। क्यूआरटी टीम के एसपीओ बशीर मागरे के मुताबिक मरने वालों में इसी गांव के 75 वर्षीय मानीराम भी शामिल हैं। उन्हें भी क्यूआरटी टीम ने मलबे के ढेर से निकाला।
रामबन-बनिहाल के बीच सेना ने संभाला मोर्चा
इस आपदा के दौरान रास्ते में जगह-जगह फंसे लोगों की मदद के लिए सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया है। सेना ने रामबन और बनिहाल के बीच नाचलाना में लंगर लगाया है। सैन्य जवान यात्रियों और लंबी दूरी के वाहन चालकों को खाने-पीने की चीजें मुहैया करा रहे हैं। उनको जरूरत का सामान भी उपलब्ध करा रहे हैं।