हिमाचल प्रदेश में आदतन नशा तस्करों पर पहली बार वित्तीय चोट की तैयारी है। प्रदेश पुलिस ने नशा तस्कर रूबी और कोबरा की संपत्ति कुर्क करने के लिए तैयारी कर ली है। कांगड़ा जिला के नूरपुर में इन दोनों के खिलाफ नशा तस्करी के मामले दर्ज हैं। पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट में नशा तस्करों की संपत्ति सीज कर कुर्की के जरिये वित्तीय चोट करने का प्रावधान है। एक्ट के तहत सरकार की ओर से गठित सलाहकार बोर्ड की पुष्टि और दिल्ली स्थित प्राधिकरण की स्वीकृति के बाद संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू होगी। प्रदेश सरकार के गृह सचिव अब तक 23 आदतन नशा तस्करों के खिलाफ डिटेंशन ऑर्डर जारी कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री सुक्खू के निर्देश पर प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने नशा तस्करों के खिलाफ पीआईटी एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई शुरू कर दी है। इस एक्ट के तहत आदतन नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रस्ताव तैयार कर गृह सचिव को भेजे जा रहे हैं। गृह सचिव की ओर से डिटेंशन ऑर्डर जारी होने के बाद अपराधियों की वित्तीय जांच हो रही है। इसमें बैंक खाते, जमीन, गाड़ी, मकान और आभूषण खंगाल कर रिपोर्ट सरकार की ओर से गठित तीन सदस्यीय सलाहकार बोर्ड को पुष्टि के लिए भेजी जा रही है। बोर्ड की पुष्टि के बाद मामलों पर एसएएफईएम (एफओपी)ए 1976 एनडीपीएस 1985 प्राधिकरण दिल्ली की स्वीकृति मिलने पर संबंधित वन अथवा राजस्व विभाग के सहयोग से कार्रवाई की जा रही है।
अब तक आठ आदतन अपराधियों को अवैध व्यापार निवारण अधिनियम (पीआईटी-एनडीपीएस) के तहत हिरासत में लिया गया है। यह अपराधी नूरपुर, सिरमौर, चंबा, बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (सोलन) और कांगड़ा से संबंधित हैं। मुख्यमंत्री ने नशा तस्करों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने के निर्देश दिए हैं। पीआईटी एनडीपीएस एक्ट 1988 आदतन नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए एक निर्णायक औजार है। प्रदेश में यह कानून नशा तस्करों को अपराध छोड़ने पर विवश कर रहा है। हिमाचल में नशा तस्करों पर लगाम कसने के लिए इस एक्ट को सख्ती से लागू किया जा रहा है।- डॉ. अतुल वर्मा, पुलिस महानिदेशक
क्या है पीआईटी एनडीपीएस एक्ट?
पीआईटी एनडीपीएस एक्ट 1988 उन गंभीर नशा तस्करों पर लगाया जाता है जो बार-बार अपराध में शामिल पाए जाते हैं या जिनके खिलाफ जन प्रतिनिधि शिकायत करते हैं। यह एक्ट लगने के बाद अपराधी को एक साल तक जमानत नहीं मिलती।