गणेश महोत्सव पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान गणपति बप्पा के जन्मोत्सव के रूप में 10 दिनों तक मनाया जाता हैं।
हिंदू शास्त्र में भगवान श्री गणेश को सभी देवी-देवताओं से अधिक महत्व दिया गया है। 10 दिन तक गणपति बप्पा को घर में रखने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति का जल में विसर्जन किया जाता है।
बप्पा को घर से विदा करना भक्तों के लिए काफी भावुक पल होता है, घर में परिवार के सदस्य की तरह रहने के बाद उन्हें विदा करना भक्तों के लिए यह लमहा काफी उदास भार होता है।
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भारत में हर मंदिर हर त्योहार हर परंपरा के पीछे कुछ कहानी या तत्थ या राज छूपे होते है, तो क्या गणपति जी के विसर्जन के पीछे भी कोई परंपरा छुपी है, 10 दिवसीय गणेश महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के बाद होता है, परंपरा है कि विसर्जन के दिन गणपति की मूर्ति का नदी, समुद्र या जल में विसर्जित करते हैं।
श्री वेद व्यास ने सुनाई गणपति जी को कथा
इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है, ऐसा माना जाता है कि श्री वेद व्यास जी ने गणपति जी को गणेश चतुर्थी के दिन से महाभारत की कथा सुनानी शुरू की थी, उस समय बप्पा उसे लिख रहे थे,
कहानी सुनाने के दौरान व्यास जी आंख बंद करके गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक कथा सुनाते रहे और गणपति जी लिखते गए। कथा खत्म होने के 10 दिन बाद जब व्यास जी ने आंखे खोली तो देखा कि गणेश जी के शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ गया था,
ऐसे में व्यास जी ने गणेश जी के शरीर को ठंडा करने के लिए जल में डुबकी लगवाई, तभी से यह मान्यता है कि 10वें दिन गणेश जी को शीतल करने के लिए उनका विसर्जन जल में किया जाता है।
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