बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार ने पहली बार स्वीकार किया है कि इस साल कोसी नदी का बहाव भीमनगर बराज के ऊपर से होने लगा था। दरअसल, गुरुवार को बिहार विधान परिषद में कोशी शिक्षक क्षेत्र से कोशी शिक्षक क्षेत्र ने बाढ़ और कोसी के गाद से जुड़े चार प्रश्न सदन में रखे थे। जिसके जवाब में सूबे के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने माना कि गाद की वजह से नदी की जल ग्रहण क्षमता में कमी आई है। उन्होंने सदन को बताया कि कोसी नदी खड़े पहाड़ी इलाके से उतरती है, जिसकी वजह से गाद की समस्या ज्यादा बड़ी है। इस साल पहली बार कोसी नदी का बहाव बराज के भी ऊपर से होने लगा था। नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश और गाद की वजह से नदी के भूतल में वृद्धि की वजह से ऐसा हुआ।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि बिहार सरकार दो प्रस्तावों पर काम कर रही है। भीमनगर बराज वर्ष 1963 में ही कमीशन हुआ था। लिहाजा राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से इसके स्ट्रक्चर के तकनीकी और यूटिलिटी जांच का अनुरोध किया है। वही सुपौल के डगमारा में एक नए बराज का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा गया है। अगर भीमनगर बराज की जांच में उपयोगिता को लेकर कोई सवाल उठता है तो सरकार वहां भी नए बराज के निर्माण का विचार है। आपको बता दें कि बीते 28 सितंबर को भीमनगर कोसी बराज से 6.81 लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज रिकॉर्ड हुआ था। वर्ष 1989 के बाद यह बराज से सर्वाधिक डिस्चार्ज रिकॉर्ड हुआ था। तब बराज के ओवर फ्लो की तस्वीरें सामने आई थी। हालांकि प्रशासन इन खबरों को नकारता रहा।
इधर, विधान पार्षद डॉ संजीव कुमार सिंह ने सरकार के समक्ष कोसी नदी के इलाके में मुफ्त खनन को मंजूरी देने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि इससे नदी के गाद की भी कुछ हद तक सफाई होगी। वही लोग अपने जरूरी काम में भी इसका उपयोग कर सकेंगे। अभी मिट्टी निकालने पर कानूनी कार्रवाई हो जाती है। हालांकि जल संसाधन मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस विषय पर शुक्रवार को एक बैठक भी होगी। उन्होंने चांदन डैम में 60 फीसदी गाद होने जानकारी दी। बताया कि गाद की सफाई के लिए राज्य सरकार के अलावा केंद्रीय जल आयोग से भी डीपीआर बनवाया। इसमें 750 करोड़ से अधिक खर्च का अनुमान लगाया गया।
मंत्री ने कहा कि चांदन डैम पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत बिहार सरकार ने केरल और राजस्थान की नीति को अपनाया है। यहां गाद की सफाई करने वाली कंपनी को उसके व्यावसायिक उपयोग की मंजूरी दे दी है। इसके तहत कंपनी जो मिट्टी ले जाएगी, उसके रॉयल्टी के तौर पर 49 करोड़ रुपए जमा करेगी। इसको कैबिनेट की स्वीकृति मिल चुकी है।
मंत्री ने कहा कि बतौर जल संसाधन मंत्री उन्होंने वर्ष 2013 में गाद प्रबंधन नीति को लेकर पहल की थी। बिहार की पहल के बाद अन्य राज्य सरकार भी आगे आई। वर्ष 2014 में केंद्रीय मंत्री उमा भारती का बड़ा योगदान रहा। अब केंद्रीय गाद प्रबंधन नीति का मसौदा बन कर तैयार है। अलग अलग राज्य सरकारों से इसको लेकर सुझाव लिया जा रहा है। जल्द ही राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति लागू होने की उम्मीद है।