गोरखपुर:- महानगर में होली मंगलवार को धूमधाम से खेली जाएगी। वहीं घंटाघर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व में श्री होलीकोत्सव समिति की ओर से निकलने वाली भगवान नृसिंह की रंगभरी शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल होंगे। साथ ही वह फूल और अबीर-गुलाल से होली भी खेलेंगे। इस बार शोभायात्रा में स्वयंसेवक ड्रेस कोड में शामिल होंगे। उन्हें पहचान पत्र भी जारी किया गया है। मंगलवार को घंटाघर पर सुबह 8:30 संघ के गण गीत से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। सुबह नौ बजे स्वागत समारोह और ध्वजारोहण होगा। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। 9:45 बजे भगवान नृसिंह की महाआरती के पश्चात मुख्यमंत्री अबीर-गुलाल खेलते हुए शोभायात्रा के साथ प्रस्थान करेंगे।
समिति के अध्यक्ष मनोज जालान ने बताया कि इस बार शोभायात्रा में पांच टोलियां शामिल रहेंगी, जो रास्ते में अबीर-गुलाल उड़ाते रहेंगे। घंटाघर पर 200 किलो अबीर-गुलाल, 100 किलो गुलाब के फूल मंगाए गए हैं। बताया कि आठ किमी की शोभायात्रा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता रहेंगे। शोभायात्रा में काले और नीले रंग का इस्तेमाल वर्जित रहेगा।उन्होंने बताया कि शोभायात्रा घंटाघर चौक से प्रस्थान करके बंधू सिंह पार्क, मदरसा चौक, लालडिग्गी, मिर्जापुर, घाटीकटरा, जाफरा बाजार, बेनीगंज, चरण लाल चौक, आर्यनगर, बक्शीपुर, नखास होते हुए घंटाघर पहुंंचकर समाप्त होगी।
आपसी सद्भाव की मिसाल है नृसिंह शोभायात्रा
नृसिंह शोभायात्रा आपसी सद्भाव की मिसाल है। इस यात्रा में श्रद्धालु जमकर होली खेलते हैं। होली गीत गूंजते हैं। काले व हरे रंग का प्रयोग नहीं होता। केवल लाल-पीले रंगों से ही होली खेली जाती है। इसका श्रेय नानाजी देशमुख को जाता है। वह 1939 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक बनकर गोरखपुर आए थे। उस समय घंटाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह शोभायात्रा में कीचड़ फेंकना, लोगों के कपड़े फाड़ देना, कालिख पोत देने के साथ ही काले व हरे रंगों का लोग अधिक प्रयोग करते थे। 1944 में नानाजी ने कुछ युवकों को एकत्रित किया और बदलाव की दिशा में पहल की।
इसके लिए हाथी का बंदोबस्त किया गया, महावत को सिखाया गया था कि जहां काला या हरा रंग का ड्रम दिखे, उसे हाथी को इशारा कर गिरवा दें, ऐसा दो-तीन साल किया गया। कुछ अराजक लोगों से युवकों को हाथापाई भी करनी पड़ी। धीरे-धीरे भगवान नृसिंह की रंगभरी शोभायात्रा में केवल रंग रह गए और उसमें भी काला व हरा नहीं। धीरे-धीरे इसकी छाप पूरे शहर में पड़ी। आज गोरखपुर की होली का प्रेम-सौहार्द व आपसी भाईचारा ही पहचान है। तभी से यह शोभायात्रा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से निकाली जाती है।
गोरक्षपीठ ने ऐसे बढ़ाई शोभायात्रा की ख्याति
शोभायात्रा को भव्य स्वरूप देने के लिए नानाजी ने गोरक्षपीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ से संपर्क साधा। दिग्विजयनाथ ने नानाजी के आमंत्रण को स्वीकार किया और यह जिम्मेदारी अपने उत्तराधिकारी अवेद्यनाथ को सौंपी। अपने गुरु के निर्देश पर अवेद्यनाथ 1950 से शोभायात्रा का नेतृत्व करने लगे। धीरे-धीरे संघ की यह शोभायात्रा नाथ पीठ से अनिवार्य रूप से जुड़ गई। योगी आदित्यनाथ को जब महंत अवेद्यनाथ ने जब अपना उत्तराधिकारी बनाया तो इस यात्रा की भव्यता को कायम रखने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही सौंप दी। 1998 से योगी आदित्यनाथ यात्रा का नेतृत्व करने लगे तो उनके उत्सवी स्वभाव के चलते शोभायात्रा ने भव्यतम स्वरूप ले लिया और इसमें महानगर के सभी प्रमुख लोग भागीदारी करने लगे। योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी शोभायात्रा का नेतृत्व उसी तरह कर रहे हैं, जैसे पहले करते थे।