बिहार की फिल्म संस्कृति को नए आयाम देने और राज्य के कलाकारों को विश्व पटल पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से बिहार फिल्म कॉन्क्लेव 2024 का आयोजन पटना में किया गया। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग और बिहार राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर के 65 से अधिक फिल्मी हस्तियों ने हिस्सा लिया। कलाकारों, निर्देशकों, लेखकों और फिल्म निर्माताओं ने बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति 2024 पर अपने विचार साझा किए, जिसमें राज्य के फिल्म उद्योग को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा हुई।
क्रांति प्रकाश झा और रीना रानी जैसे दिग्गज कलाकारों ने फिल्म नीति की प्रशंसा करते हुए इसे बिहार के कलाकारों के लिए एक बड़ा अवसर बताया। क्रांति प्रकाश झा ने कहा कि इस नीति के तहत बिहार के फिल्म कल्चर को न केवल उत्तर प्रदेश और मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री से प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा, बल्कि स्थानीय कलाकारों को भी अपने सपनों को पूरा करने का मंच मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह नीति कलाकारों को अपनी बुलंदियों को हासिल करने का मौका देती है, बशर्तें वे इसका अधिकतम लाभ उठाएं।
वहीं, रीना रानी ने फिल्म नीति को सशक्त बनाने के लिए कुछ सुझाव दिए, जैसे कि वरिष्ठ कलाकारों के लिए आर्थिक सहायता और बाहर से आने वाले कलाकारों के लिए एक स्थायी ठिकाने के निर्माण की मांग। उन्होंने कहा कि इससे छोटे कलाकारों को ज्यादा लाभ मिलेगा और उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
बुल्लू कुमार और मनोज टाइगर जैसे कलाकारों ने भी फिल्म नीति को राज्य के छोटे कस्बों के कलाकारों के लिए एक वरदान बताया। बुल्लू कुमार ने कहा कि यह नीति उन कलाकारों के लिए अवसरों का द्वार खोलेगी जिनके पास प्रतिभा तो है, लेकिन प्लेटफार्म और आर्थिक सहायता की कमी है। अब उन्हें मुंबई जाने की जरूरत नहीं होगी।
मनोज टाइगर ने इस नीति का स्वागत करते हुए कहा कि अगर इसे जमीन पर सही तरीके से उतारा गया, तो यह राज्य के कलाकारों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
इस कॉन्क्लेव का उद्घाटन बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और सांसद एवं अभिनेता मनोज तिवारी ने किया। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति राज्य को फिल्म निर्माण के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक परंपरा को फिल्म उद्योग के माध्यम से विश्व भर में प्रचारित किया जा सकता है।
मनोज तिवारी ने कहा कि यह नीति बिहार के फिल्म उद्योग को नया जीवन देगी और राज्य में फिल्म निर्माण के लिए सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। उन्होंने सरकार से फिल्म नगरी की घोषणा करने का आग्रह भी किया।
विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद ने बताया कि इस नीति के तहत फिल्म निर्माताओं को दो से चार करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी, जो देश भर में सबसे अधिक है। इसके साथ ही भोजपुरी, मैथिली, मगही और अन्य स्थानीय भाषाओं में बनाई गई फिल्मों के लिए भी अनुदान मिलेगा। उन्होंने बताया कि दिसंबर में एक और बड़ा आयोजन मुंबई में किया जाएगा, जिससे फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को बिहार में फिल्म निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
गौरतलब है कि इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य कलाकारों, निर्देशकों, और फिल्म निर्माताओं को बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति के बारे में जागरूक करना था, ताकि वे इसका सही ढंग से लाभ उठा सकें। कार्यक्रम में कई अहम सुझाव सामने आए, जिनके आधार पर सरकार फिल्म नीति को और बेहतर बनाने के प्रयास करेगी। इस कॉन्क्लेव से यह स्पष्ट हो गया कि बिहार न केवल अपनी संस्कृति और इतिहास में समृद्ध है, बल्कि अब यह फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी एक नए युग की शुरुआत करने जा रहा है।
बिहार फिल्म कॉन्क्लेव 2024 के दौरान बिहार के समृद्ध फिल्म इतिहास और भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई। सभी उपस्थित गणमान्य अतिथियों और कलाकारों ने एक सुर में कहा कि यह नीति बिहार के छोटे से छोटे कलाकार को एक बड़ा मंच प्रदान करेगी और राज्य को फिल्म निर्माण का एक नया केंद्र बनाएगी।
बिहार बाईस्कोप कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण भी इस कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण था, जिसमें राज्य के रमणीय स्थानों और फिल्म निर्माण में योगदान देने वाले कलाकारों की उपलब्धियों को दर्शाया गया। इस आयोजन से एक बात स्पष्ट हो गई कि बिहार अब सिर्फ इतिहास और सांस्कृतिक धरोहरों का राज्य नहीं, बल्कि फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाने की राह पर है।