राजधानी देहरादून में बीती रात हुई मूसलधार बारिश ने जनजीवन और धार्मिक स्थलों दोनों को प्रभावित किया है। शहर के कई इलाकों में जलभराव और भूस्खलन की खबरें हैं, वहीं प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर भी इस प्राकृतिक प्रलय से अछूता नहीं रहा। मंदिर परिसर में आए नुकसान ने स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को स्तब्ध कर दिया है।
शिवलिंग तक पहुंचा मलबा, पुजारियों ने हटाया
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मंदिर के पास बहने वाली नदी का जलस्तर सामान्य से लगभग 28 फीट ऊपर पहुंच गया। इससे मंदिर परिसर में भारी मलबा जमा हो गया। मंदिर के सबसे पवित्र स्थल, शिवलिंग, तक दो फीट रेत और मलबा चढ़ गया था। पुजारियों और सेवकों ने सावधानीपूर्वक इस मलबे को हटाकर शिवलिंग को सुरक्षित किया।
पुल बहा, लिफ्ट और सुविधाओं को गंभीर नुकसान
मंदिर परिसर में स्थित एक छोटा पुल, जो श्रद्धालुओं के आने-जाने का मुख्य मार्ग था, पूरी तरह बह गया है। इसके अलावा, मंदिर की लिफ्ट प्रणाली भी गंभीर क्षति से प्रभावित हुई है। इससे बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं को आने-जाने में दिक्कतें हो रही हैं।
पूजा सामग्री और पुजारियों का निवास भी प्रभावित
बारिश और बाढ़ की वजह से मंदिर में रखी पूजा सामग्री और धार्मिक वस्तुएं बह गई हैं। मंदिर में रहने वाले पुजारी और महाराज जी के कमरे भी पानी में डूब गए, जिससे उनका निजी सामान, धार्मिक पुस्तकें और अन्य आवश्यक वस्तुएं खराब हो गई हैं।
स्थानीय लोगों और नेताओं की प्रतिक्रिया
मंदिर में प्रतिदिन दर्शन करने वाले कांग्रेस नेता लालचंद शर्मा ने कहा, “मैंने टपकेश्वर मंदिर में कभी ऐसा मंजर नहीं देखा। यह तबाही हमारे लिए बेहद दर्दनाक है।” स्थानीय लोग और श्रद्धालु प्रशासन से त्वरित राहत और पुनर्निर्माण की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन से मदद की अपील
मंदिर की पौराणिक और धार्मिक महत्ता को देखते हुए सभी चाहते हैं कि इसे जल्द से जल्द पूर्व स्थिति में लाया जाए। प्रशासन ने भी स्थिति का आकलन शुरू कर दिया है और जल्द ही राहत कार्यों की शुरुआत की संभावना है। टपकेश्वर महादेव मंदिर, जो कि देहरादून के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, इस घटना के बाद पुनर्निर्माण और सुरक्षा के लिए एक बार फिर से सक्रिय प्रयासों की प्रतीक्षा कर रहा है।