देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने सी.पी. राधाकृष्णन, राष्ट्रपति भवन में हुआ शपथ ग्रहण समारोह

शुक्रवार का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक रहा, जब सी.पी. राधाकृष्णन ने देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। समारोह में कई केंद्रीय मंत्री, सांसद, राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित देशभर के दिग्गज नेता मौजूद रहे।

चुनावी मुकाबले में दर्ज की बड़ी जीत

मंगलवार को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और संयुक्त विपक्षी प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने थे। इस चुनाव में कुल 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया, जो कि 98.2 प्रतिशत मतदान दर्शाता है।
गणना के बाद एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन को 452 मत मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। परिणाम 9 सितंबर की शाम को घोषित किए गए, जिसमें राधाकृष्णन की जीत पक्की हो गई।

पूर्व उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद हुआ चुनाव

यह चुनाव अचानक तब सामने आया जब पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में संवैधानिक प्रावधानों के तहत यह चुनाव कराना आवश्यक था। एनडीए ने राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज कर देश के 15वें उपराष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया।

समारोह में दिखी गरिमा और उत्साह

शपथ ग्रहण समारोह में राजनीतिक जगत के साथ-साथ सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र से भी कई विशिष्ट लोग उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राधाकृष्णन की जीत और शपथ ग्रहण पर उन्हें हार्दिक बधाई दी। पीएम ने कहा कि राधाकृष्णन का अनुभव और नेतृत्व क्षमता देश के लिए नई दिशा तय करेगी।

उत्तराखंड के सीएम धामी भी रहे मौजूद

इस खास मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी समारोह में शामिल हुए। उन्होंने नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति को बधाई देते हुए कहा कि “सी.पी. राधाकृष्णन का अनुभव और दूरदर्शिता भारतीय लोकतंत्र को और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।”

उम्मीदों से भरा नया कार्यकाल

राधाकृष्णन की पहचान एक सुलझे हुए और जमीनी नेता के रूप में रही है। दक्षिण भारत से आने वाले इस अनुभवी राजनेता को सदन की कार्यवाही और लोकतांत्रिक परंपराओं की गहरी समझ है। यही कारण है कि उनसे उम्मीदें और बढ़ गई हैं।
देश की निगाहें अब उनके आगामी कार्यकाल पर टिकी हैं कि किस तरह वह भारतीय लोकतंत्र की गरिमा को और ऊँचाई देंगे और देशहित में अहम फैसलों में योगदान देंगे।

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