शिक्षा व्यवस्था को और मज़बूत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शिक्षकों को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि अब सरकारी स्कूलों में सेवारत शिक्षक तभी नौकरी में बने रह सकेंगे, जब वे निर्धारित समय सीमा के भीतर Teachers Eligibility Test (TET) पास करेंगे।
कोर्ट ने तय किया दो साल का समय
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सेवारत शिक्षकों को 2 साल के भीतर TET परीक्षा पास करनी होगी।
- अगर शिक्षक निर्धारित समय में यह परीक्षा पास नहीं करते, तो उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ेगी।
- इतना ही नहीं, प्रमोशन के लिए भी TET पास करना अनिवार्य होगा।
यह फैसला शिक्षा क्षेत्र में क्वालिटी एजुकेशन और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने के लिए ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके शिक्षकों को राहत
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन शिक्षकों को बड़ी राहत दी है जिनकी सेवानिवृत्ति में पाँच साल से कम समय बचा है।
- ऐसे शिक्षक बिना TET पास किए नौकरी पर बने रह सकते हैं।
- लेकिन, कोर्ट ने यह भी साफ किया कि उन्हें प्रमोशन का लाभ नहीं मिलेगा।
यह राहत उन शिक्षकों के लिए है जिन्होंने वर्षों तक सेवा की है और अब नौकरी के अंतिम दौर में हैं।
अल्पसंख्यक संस्थानों पर फिलहाल लागू नहीं होगा नियम
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ा रहे शिक्षकों पर अभी TET पास करने का नियम लागू नहीं होगा।
- अदालत ने माना कि इस पर अंतिम निर्णय एक बड़ी बेंच लेगी।
- वहीं, बाकी सभी सरकारी और गैर-अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षकों पर यह नियम पूरी तरह लागू रहेगा।
क्या है TET परीक्षा?
Teachers Eligibility Test (TET) देश में शिक्षक बनने की एक अनिवार्य योग्यता परीक्षा है।
यह दो स्तरों पर आयोजित की जाती है:
- प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5 तक)
- उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6 से 8 तक)
- केंद्र सरकार के स्तर पर इसे CTET (Central Teacher Eligibility Test) के नाम से आयोजित किया जाता है।
- वहीं राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर STET (State TET) आयोजित करती हैं।
इस परीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक योग्य और दक्ष हों, ताकि बच्चों की नींव मजबूत की जा सके।
फैसले का असर
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब देशभर के लाखों शिक्षकों को आने वाले दो वर्षों में TET पास करना जरूरी होगा।
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इससे शिक्षा व्यवस्था में क्वालिटी और पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।
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हालांकि, कई शिक्षकों के लिए यह आदेश एक चुनौतीपूर्ण स्थिति भी लेकर आया है।