उत्तराखंड में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। इस बार उनका निशाना उत्तरकाशी की जर्जर सड़कों और लापरवाह व्यवस्थाओं पर रहा।
उत्तरकाशी यात्रा और सड़कों की हकीकत
हरीश रावत ने फेसबुक पर पोस्ट लिखते हुए बताया कि उत्तरकाशी की यात्रा के दौरान उन्हें धराली की ओर जाते हुए सड़क पर पड़े विशाल बोल्डरों और मलबे का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब प्रमुख मार्गों की यह हालत है तो बाकी जगहों की स्थिति का आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने लिखा,
“ट्रिपल इंजन का चमत्कार देखना है तो उत्तरकाशी आइए। सुबह धराली की ओर निकलने पर पूरी सड़क के ऊपर बोल्डर और मलबा पड़ा मिला। रोड खुलने की कोई संभावना नहीं दिखी, तो हमें वापस लौटना पड़ा। चिन्यालीसौड़ और धरासू के बीच तीन जगहों पर बड़े-बड़े बोल्डर गिरे पड़े हैं और उन्हें हटाने के लिए जेसीबी का इंतजार करते-करते शाम के पांच बज गए।”
घंटों इंतजार, लेकिन जेसीबी नदारद
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि अब भी एक से डेढ़ घंटे तक रोड खुलने की कोई संभावना नहीं दिख रही थी। उन्होंने BRO पर सवाल उठाते हुए कहा कि सड़क की देखरेख की जिम्मेदारी उन्हीं की है, लेकिन मौके पर जेसीबी तक उपलब्ध नहीं थी।
रावत ने तंज कसते हुए कहा,
“अधिकारी कहते हैं आधे घंटे में रोड खुल जाएगी, लेकिन आधा घंटा आता कहां से है जब उनके पास जेसीबी ही नहीं है। आखिरकार एक छोटी जेसीबी भेज दी गई, लेकिन उससे इतने विशाल बोल्डर हटने का सवाल ही नहीं है।”
स्थानीय जनता की मुश्किलें
स्थानीय लोग बताते हैं कि मानसून के दौरान अक्सर सड़कें बंद हो जाती हैं। यात्रियों और गांववासियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो लोग मजबूरी में पैदल ही मलबा पार कर निकलते हैं। ऐसे हालात में राहत और बचाव की मशीनें समय पर न पहुंचना बड़ी समस्या बन जाती है।
हरदा का तंज – “ट्रिपल इंजन जिंदाबाद”
हरीश रावत ने व्यंग्य करते हुए कहा,
“यदि ट्रिपल इंजन सरकार का असली नजारा देखना है तो उत्तरकाशी आइए और ट्रिपल इंजन जिंदाबाद का नारा लगाइए।”
उनकी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और एक बार फिर उत्तराखंड की सड़क व्यवस्था और सरकार की तैयारियों पर सवाल उठने लगे।
उत्तरकाशी की सड़क दुर्दशा पर हरदा का वार – “ट्रिपल इंजन सरकार का चमत्कार देखना है तो यहां आइए”
उत्तराखंड में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। इस बार उनका निशाना उत्तरकाशी की जर्जर सड़कों और लापरवाह व्यवस्थाओं पर रहा।
उत्तरकाशी यात्रा और सड़कों की हकीकत
हरीश रावत ने फेसबुक पर पोस्ट लिखते हुए बताया कि उत्तरकाशी की यात्रा के दौरान उन्हें धराली की ओर जाते हुए सड़क पर पड़े विशाल बोल्डरों और मलबे का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब प्रमुख मार्गों की यह हालत है तो बाकी जगहों की स्थिति का आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
उन्होंने लिखा,
“ट्रिपल इंजन का चमत्कार देखना है तो उत्तरकाशी आइए। सुबह धराली की ओर निकलने पर पूरी सड़क के ऊपर बोल्डर और मलबा पड़ा मिला। रोड खुलने की कोई संभावना नहीं दिखी, तो हमें वापस लौटना पड़ा। चिन्यालीसौड़ और धरासू के बीच तीन जगहों पर बड़े-बड़े बोल्डर गिरे पड़े हैं और उन्हें हटाने के लिए जेसीबी का इंतजार करते-करते शाम के पांच बज गए।”
घंटों इंतजार, लेकिन जेसीबी नदारद
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि अब भी एक से डेढ़ घंटे तक रोड खुलने की कोई संभावना नहीं दिख रही थी। उन्होंने BRO पर सवाल उठाते हुए कहा कि सड़क की देखरेख की जिम्मेदारी उन्हीं की है, लेकिन मौके पर जेसीबी तक उपलब्ध नहीं थी।
रावत ने तंज कसते हुए कहा,
“अधिकारी कहते हैं आधे घंटे में रोड खुल जाएगी, लेकिन आधा घंटा आता कहां से है जब उनके पास जेसीबी ही नहीं है। आखिरकार एक छोटी जेसीबी भेज दी गई, लेकिन उससे इतने विशाल बोल्डर हटने का सवाल ही नहीं है।”
स्थानीय जनता की मुश्किलें
स्थानीय लोग बताते हैं कि मानसून के दौरान अक्सर सड़कें बंद हो जाती हैं। यात्रियों और गांववासियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो लोग मजबूरी में पैदल ही मलबा पार कर निकलते हैं। ऐसे हालात में राहत और बचाव की मशीनें समय पर न पहुंचना बड़ी समस्या बन जाती है।
हरदा का तंज – “ट्रिपल इंजन जिंदाबाद”
हरीश रावत ने व्यंग्य करते हुए कहा,
“यदि ट्रिपल इंजन सरकार का असली नजारा देखना है तो उत्तरकाशी आइए और ट्रिपल इंजन जिंदाबाद का नारा लगाइए।”
उनकी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और एक बार फिर उत्तराखंड की सड़क व्यवस्था और सरकार की तैयारियों पर सवाल उठने लगे।