शिमला: हिमाचल प्रदेश में लगातार जारी भारी मानसूनी बारिश ने तबाही मचा दी है। बुधवार को कुछ लापता लोगों के शव मिलने के बाद राज्य में अब तक मृतकों की संख्या बढ़कर 106 हो चुकी है, जबकि 35 से अधिक लोग अब भी लापता हैं। पिछले 26 दिनों में राज्य को ₹1,000 करोड़ से अधिक का बुनियादी ढांचे और संपत्ति का नुकसान हुआ है।
नाथपा झाकड़ी बांध के गेट खोले, सतलुज में बढ़ा जलस्तर
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम) ने 1,500 मेगावाट क्षमता वाले नाथपा झाकड़ी बांध के द्वार खोल दिए, जिससे सतलुज नदी में पानी का स्तर और बढ़ गया। जलस्तर बढ़ने के मद्देनज़र अधिकारियों ने लोगों से सतलुज नदी और अन्य जलस्रोतों के किनारे से दूर रहने की अपील की है। एक अलर्ट में एसजेवीएनएल ने जनता से “सतलुज नदी से सुरक्षित दूरी बनाए रखने” का आग्रह किया है।
आईएमडी का ‘येलो अलर्ट’, अगले 24 घंटों में भारी बारिश की चेतावनी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए ‘येलो अलर्ट’ जारी करते हुए अगले 24 घंटों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। कोठी में 44 मिमी और जट्टन बैराज में 40 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई, जबकि नरकंडा में 39 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलीं।
257 सड़कें और 15 पुल क्षतिग्रस्त, कई राष्ट्रीय राजमार्ग बंद
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, बारिश से 257 मुख्य सड़कें प्रभावित, और 15 पुल बह गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-3, 5 और 505 सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, जिनकी मरम्मत युद्धस्तर पर जारी है।
मंडी में सबसे अधिक नुकसान, कांगड़ा में मजदूर बहे
मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिले भारी बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
मंडी में: 599 घर, 277 गौशालाएं क्षतिग्रस्त और 482 मवेशी मारे गए। छह पुल भी बह गए हैं।
कांगड़ा में: खनियारा खड्ड में अचानक आई बाढ़ में 7 मजदूरों की मौत हो गई, कई अब भी लापता हैं।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ का राहत अभियान जारी
प्रभावित इलाकों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं।
20 जून से अब तक: 22 बादल फटने, 18 भूस्खलन और 31 फ्लैश फ्लड की घटनाएं
राज्य में 20 जून से अब तक 22 बार बादल फटने, 18 भूस्खलन और 31 फ्लैश फ्लड की घटनाएं हो चुकी हैं। हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और जहां तक संभव हो घरों में ही सुरक्षित रहें।