सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई है, जिसमें पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है। वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन याचिकाकर्ता की तरफ से दलीलें रखेंगे। गौरतलब है कि वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल में हिंसा हुई है, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं। वकील विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका पेश की, जिसके बाद याचिका को कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।
याचिका में ये भी मांग की गई है कि बंगाल में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की जाए और साथ ही रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति बनाकर हिंसा की जांच की जाए। याचिका पर पीठ ने तंज कसते हुए कहा कि ‘आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति को आदेश जारी करें? वैसे ही, हम पर कार्यपालिका (क्षेत्र) में अतिक्रमण करने का आरोप लग रहा है।’ गौरतलब है कि हाल ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर कार्यपालिका के काम में दखल देने का आरोप लगाया है। जिस पर खासा विवाद हो रहा है। साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर सवाल उठाए थे और सुप्रीम कोर्ट पर सुपर संसद के रूप में काम करने का आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन कानून के विरोध में बीती 11-12 अप्रैल को बंगाल के मुर्शिदाबाद के कई इलाकों में हिंसा भड़की, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। हिंसा के चलते बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन हुआ। विपक्षी पार्टियां बंगाल में कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के सात जजों के तबादले की सिफारिश की है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में कॉलेजियम की बैठक 15 और 19 अप्रैल को हुईं। इन बैठकों में ही यह फैसला किया गया। कॉलेजियम ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के जज जस्टिस हेमंत चंदनगौदर को मद्रास उच्च न्यायालय, जस्टिस कृष्णन नटराजन को केरल हाईकोर्ट, जस्टिस नरनाहल्ली श्रीनिवासन संजय गौड़ा को गुजरात हाईकोर्ट और जस्टिस दीक्षित कृष्ण श्रीपदा को ओडिशा हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की गई है। कॉलेजियम ने तेलंगाना हाईकोर्ट के जज पेरुगु श्री सुधा को कर्नाटक हाईकोर्ट और कासोजु सुरेंद्र को मद्रास हाईकोर्ट भेजने की भी सिफारिश की है। जस्टिस कुंभाजदला मनमधा राव को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से कर्नाटक उच्च न्यायालय भेजने की सिफारिश की गई है।