औरंगाबाद: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में अजंता गुफा परिसर के विश्व धरोहर स्थल पर सौंदर्यीकरण और बागवानी का काम प्रभावित हुआ है क्योंकि बकाया राशि का भुगतान नहीं किये जाने के कारण 2019 में बंद की गई जलापूर्ति अभी तक बहाल नहीं हुई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक अधिकारी ने बताया कि गुफाओं के प्राकृतिक संसाधनों के माध्यम से पीने के पानी का प्रबंधन किया जा रहा है लेकिन बागवानी कार्य में बाधा बनी हुई है।
जनवरी में राज्य के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे के अजंता गुफाओं के दौरे के बाद भी यह मुद्दा सुलझ नहीं पाया है।
अधिकारी ने कहा कि अजंता गुफा स्थल को पानी की आपूर्ति महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण (एमजेपी) द्वारा की जाती है। लेकिन महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) द्वारा एमजेपी को बकाया भुगतान नहीं किये जाने के कारण 2019 में आपूर्ति बंद कर दी गई थी।
एएसआई अधीक्षक (औरंगाबाद सर्कल) मिलन कुमार चौले ने कहा कि बकाया राशि 3.2 करोड़ रुपये है जिसका भुगतान एमटीडीसी द्वारा एमजेपी को किया जाना है। चौले ने कहा कि जब आदित्य ठाकरे ने अजंता की गुफाओं का दौरा किया था तो इस मुद्दे को उठाया गया था लेकिन इसे अभी तक सुलझाया नहीं गया है।
उन्होंने कहा, हमने पीने के पानी के लिए गुफाओं के ऊपर एक आरओ सिस्टम और एक शीतलन संयंत्र (चिलर) स्थापित किया है ताकि पर्यटकों को असुविधा न हो। अभी तक हमें पीने के पानी की कोई कमी नहीं है क्योंकि हम गुफाओं के प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग कर रहे हैं। चौले ने कहा कि एएसआई यहां 3.4 जैव.शौचालय स्थापित करने की योजना बना रहा है जिसमें कम पानी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, यह योजना हैदराबाद और मुंबई में प्रभावी साबित हुई है।