हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मंगलवार को भी बारिश का कहर जारी रहा, जिसके चलते भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने कई घरों को अपनी चपेट में ले लिया। अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है और कई मकान ढह गए हैं।
1337 सड़कें बंद, राष्ट्रीय राजमार्ग भी बाधित
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार, बारिश और भूस्खलन के कारण राज्य की 1,337 सड़कें बंद हो गई हैं। इनमें 4 राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल हैं।
- मंडी में 282 सड़कें,
- शिमला में 255,
- चंबा में 239,
- कुल्लू में 205,
- सिरमौर में 140 सड़कें बंद हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग-3 (मंडी–धरमपुर), एनएच-5 (हिंदुस्तान-तिब्बत रोड), एनएच-21 (चंडीगढ़-मनाली रोड) समेत कई प्रमुख मार्ग बाधित हो गए हैं।
ऑरेंज अलर्ट जारी
मौसम विभाग ने बुधवार को कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और किन्नौर जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, अन्य जिलों में येलो अलर्ट लागू है। लगातार भूस्खलन से आंतरिक इलाकों में हालात और भी खराब हैं।
CM सुक्खू ने घोषित किया राहत पैकेज
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए केंद्र सरकार से विशेष राहत पैकेज की मांग की है। राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की है:
- जिनके घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए, उन्हें ₹7 लाख की वित्तीय सहायता।
- सामान नष्ट होने पर अतिरिक्त ₹70,000।
- आंशिक क्षतिग्रस्त मकानों के लिए ₹1 लाख की सहायता।
ट्रेन सेवाएं रद्द, यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
भूस्खलन से शिमला-कालका रेलमार्ग बाधित हो गया है। जिसके चलते रेलगाड़ियां 5 सितंबर तक रद्द कर दी गई हैं।
भारी तबाही के आंकड़े
- मानसून शुरू होने के बाद से अब तक 340 लोगों की मौत हुई।
- 41 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
- 95 बार बाढ़, 45 बार बादल फटना और 115 बार भूस्खलन की घटनाएं दर्ज हुई हैं।
- राज्य को अब तक ₹3,158 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
हिमाचल की इस आपदा ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पहाड़ी राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए दीर्घकालिक और ठोस रणनीति कब बनेगी।