बदरीनाथ हाईवे पर स्थित भूस्खलन संवेदनशील क्षेत्र लामबगड़ में तीन वर्षों की शांति के बाद एक बार फिर से भूस्खलन सक्रिय हो गया है। चट्टानों से बड़े-बड़े बोल्डर छिटककर हाईवे पर गिर रहे हैं, जिससे मार्ग पर खतरा उत्पन्न हो गया है। हिल साइड पर बनाई गई सुरक्षा दीवार भी कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गई है।
स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सीमा सड़क संगठन (BRO) ने भूस्खलन क्षेत्र में फिर से ट्रीटमेंट कार्य शुरू कर दिया है। भूस्खलन प्रभावित चट्टान के ऊपरी हिस्से पर दो पोकलेन मशीनें तैनात की गई हैं, जो लगातार बोल्डर और मलबा हटाने का कार्य कर रही हैं।
तीर्थयात्रा और सैन्य आवाजाही पर पड़ता है असर
लामबगड़ में बार-बार होने वाले भूस्खलन के कारण न केवल बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा कई बार बाधित हुई है, बल्कि चीन सीमा की ओर सेना की आवाजाही भी प्रभावित होती रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2015 में इस क्षेत्र के स्थायी उपचार की दिशा में कार्य शुरू किया गया था।
BRO द्वारा अलकनंदा नदी के किनारे से लगभग 120 मीटर लंबी नई सड़क का निर्माण किया गया था और चट्टानों के बाहरी हिस्से पर मजबूत सुरक्षा दीवार भी खड़ी की गई थी। इसके बाद बीते तीन वर्षों तक इस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही सामान्य रही।
अब फिर से खतरा बढ़ा, ट्रीटमेंट कार्य तेज
हालांकि अब एक बार फिर भूस्खलन सक्रिय हो गया है। BRO के कमांडर कर्नल अंकुर महाजन ने बताया कि, “लामबगड़ क्षेत्र में पूर्व में स्थायी ट्रीटमेंट किया गया था, जिससे काफी हद तक स्थिरता आई थी। फिलहाल हाईवे की चौड़ाई के कारण यातायात बाधित नहीं हो रहा है, लेकिन चट्टानों से गिरते बोल्डर खतरा पैदा कर रहे हैं। इसके मद्देनज़र ट्रीटमेंट कार्य फिर से शुरू कर दिया गया है।”
BRO की टीमें अब तेजी से कार्य कर रही हैं ताकि यात्रियों और सेना की आवाजाही सुरक्षित और सुगम बनी रहे।