देहरादून में सितंबर की भारी बारिश ने मचाई तबाही, कांग्रेस नेता हरिश रावत ने सरकार को घेरा

सितंबर 2025 की लगातार बारिश ने राजधानी देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही मचा दी है। 15 और 16 सितंबर की रात सहस्त्रधारा क्षेत्र में अचानक बादल फटने की घटना से सांग नदी उफान पर आ गई। नदी के पानी ने आसपास के कई पुल, सड़कें और हाईवे क्षतिग्रस्त कर दिए, जिससे लोगों की आवाजाही ठप हो गई। इस आपदा में कई लोगों की मौत की खबर भी सामने आई है, जबकि कुछ अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।

इस प्राकृतिक आपदा के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरिश रावत ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से लिखा, “चेतो देहरादून- चेतो उत्तराखंड। कल रात आई आसमानी आफत हमें यह स्पष्ट संकेत दे रही है कि जिस तरीके से हम देहरादून का नियोजन कर रहे हैं, वह काफी चिंताजनक है। अगर यह बादल रिस्पना या बिंदाल क्षेत्र में फटता, तो तबाही का मंजर और भी भयावह होता।” हरिश रावत ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि देहरादून की धारण क्षमता का कोई आकलन नहीं किया गया है, जबकि यह क्षेत्र भूकंपीय दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील जोन 5 में आता है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड की जमीनों को केवल करोड़पति और अरबपति तैयार करने की मशीन बना दिया गया है। जब शीर्ष स्तर पर ही नियंत्रण नहीं है, तो नीचे नियंत्रण की उम्मीद रखना व्यर्थ है।”

हरदा ने कहा कि सहस्त्रधारा सहित कई क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि पहले भी सौंग नदी ने तबाही मचाई थी और इस बार सहस्त्रधारा में हुई आपदा हमें गंभीरता से सोचने को मजबूर कर रही है। “कल रात आई आफत हमें स्पष्ट संदेश दे रही है कि हमें Act fast, Act just now करना चाहिए। केवल आपदा के बाद बयान देकर आगे बढ़ना पर्याप्त नहीं है। हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना होगा और उन्हें सुधारने की दिशा में तुरंत कदम उठाना होगा।” हरदा ने सरकार से अनुरोध किया कि वह भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए योजना, नियंत्रण और सतत निगरानी को सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्कता और तत्काल प्रतिक्रिया ही जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है।

स्थानीय लोग और प्रशासन:
स्थानीय लोग पानी और मलबे में फंसे परिवारों को बचाने के लिए रातभर जागरूक रहे। प्रशासन ने SDRF और NDRF की टीमों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य के लिए भेजा। हालांकि, राहत कार्य अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है क्योंकि कई पुल और सड़कें क्षतिग्रस्त होने के कारण कई क्षेत्रों तक पहुंच मुश्किल हो रही है। देहरादून के नागरिकों में भारी चिंता और भय का माहौल है। लोग प्रशासन से तेज़ और प्रभावी राहत कार्य की उम्मीद कर रहे हैं। इस आपदा ने एक बार फिर यह याद दिलाया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सिर्फ योजना नहीं, बल्कि वास्तविक क्रियान्वयन और सतत निगरानी जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *