देहरादून में साइबर फ्रॉड का सबसे बड़ा मामला, ONGC अफसर से 7.40 करोड़ की ठगी

देहरादून। साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है, उसने सभी को हैरान कर दिया है। ओएनजीसी अगरतला, त्रिपुरा में तैनात जनरल मैनेजर संजीव कुमार आर्या (निवासी अजबपुर खुर्द, नेहरू कॉलोनी, देहरादून) से साइबर ठगों ने शेयर मार्केट में भारी मुनाफे का लालच देकर 7 करोड़ 40 लाख रुपये हड़प लिए। यह उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड माना जा रहा है।

कैसे बुना गया जाल?

रिपोर्ट के अनुसार, 15 जून को संजीव कुमार को एक अज्ञात व्हाट्सएप नंबर से एक लिंक भेजा गया। लिंक पर क्लिक करते ही वे खुद को “M-02 वेल्थ सीक्रेट्स एक्सचेंज” नामक व्हाट्सएप ग्रुप में पाए।
इस ग्रुप में मुकेश कुमार शर्मा और ज्योति गौतम नामक महिला एडमिन थीं, जो उन्हें रोजाना स्टॉक मार्केट से जुड़े टिप्स भेजती थीं। शुरुआत में छोटे-छोटे निवेश पर अच्छा रिटर्न दिखाकर उनका भरोसा जीत लिया गया।

एप डाउनलोड और निवेश का झांसा

25 जुलाई को ग्रुप में एक ऐप का लिंक साझा किया गया। उसमें दावा किया गया कि निवेश पर तीन से चार गुना मुनाफा मिलेगा। लालच में आकर संजीव ने ऐप डाउनलोड की और आधार कार्ड से रजिस्ट्रेशन भी कर लिया। इसके बाद उन्हें एक अलग व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां लगातार निवेश बढ़ाने का दबाव बनाया गया। शुरुआत में उन्होंने अपनी ढाई करोड़ की जमा पूंजी लगाई। ऐप पर दिखाए गए “फर्जी प्रॉफिट” को देखकर उन्होंने बैंक से लोन लिया और दोस्तों व रिश्तेदारों से उधार लेकर और निवेश करना शुरू कर दिया।

7.40 करोड़ निवेश और 100 करोड़ का झूठा बैलेंस

22 जुलाई से 20 अगस्त तक उन्होंने कुल 7 करोड़ 39 लाख 50 हजार रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए।
एप में उनके अकाउंट में करीब 100 करोड़ रुपये का बैलेंस दिखाया गया। इससे वे बेहद उत्साहित हो गए।

लेकिन जब 21 अगस्त को उन्होंने पांच करोड़ रुपये निकालने का प्रयास किया, तो उनसे कहा गया कि पहले तीन करोड़ रुपये टैक्स के रूप में जमा करें। जब उन्होंने कहा कि टैक्स रकम मुनाफे से काट ली जाए, तो जवाब मिला कि यह “इंटरनेशनल ब्रोकर फर्म” है और टैक्स अलग से देना होगा। तभी उन्हें ठगी का अहसास हुआ।

अब कर्ज में डूबे अफसर

ठगों के जाल में फंसकर संजीव कुमार आर्या अब गहरे कर्ज में डूब चुके हैं। हालात ऐसे हैं कि उन्हें अपने पैतृक मकान और जमीन बेचने तक की नौबत आ गई है।
साइबर पुलिस स्टेशन, देहरादून ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आरोपी इंटरनेशनल नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं।

मानवीय पहलू: लालच और भरोसे का खेल

यह मामला सिर्फ एक अफसर की ठगी नहीं है, बल्कि यह सावधानी और जागरूकता की कमी का कड़वा सच भी उजागर करता है। संजीव कुमार जैसे शिक्षित और उच्च पद पर बैठे लोग भी जब लालच में आकर साइबर ठगों का शिकार बन सकते हैं, तो आम नागरिकों के लिए खतरा और भी बड़ा है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी अनजान लिंक या एप से दूर रहें और भारी निवेश करने से पहले उसके कानूनी व आधिकारिक सत्यापन जरूर करें।

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