उत्तराखंड में रेलवे परियोजनाओं के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक क्षण आया है। देवप्रयाग और जनासू के बीच स्थित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे सुरंग पूरी तरह से तैयार हो गई है। 14.57 किलोमीटर लंबी यह सुरंग न केवल परियोजना का अहम हिस्सा है, बल्कि देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग बनने का गौरव भी हासिल कर चुकी है। आश्चर्यजनक बात यह है कि यह सुरंग निर्धारित समय से सवा साल पहले, यानी 2026 की जगह 16 अप्रैल 2025 को ही पूरी हो गई। इस उपलब्धि को रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) की टीम ने मिलकर हासिल किया। RVNL के महाप्रबंधक अजीत यादव ने इसे रेलवे के इतिहास में नया कीर्तिमान बताया।
पहली बार हिमालयी इलाके में TBM तकनीक का इस्तेमाल
इस सुरंग के निर्माण में सबसे खास बात यह रही कि पहली बार हिमालयी इलाके में टनल बोरिंग मशीन (TBM) तकनीक का इस्तेमाल किया गया। आम तौर पर इस क्षेत्र में सुरंग निर्माण के लिए पारंपरिक ड्रिल-एंड-ब्लास्ट तकनीक का उपयोग होता रहा है। एलएंडटी अधिकारियों के अनुसार, सुरंग निर्माण का लगभग 70% काम TBM मशीन से हुआ और शेष 30% पारंपरिक तकनीक से पूरा किया गया। हालांकि, यह आसान नहीं था। निर्माण के दौरान एक समय भूस्खलन जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिससे पूरी टीम पर भारी दबाव था। TBM मशीन की खासियत यह है कि यह नरम मिट्टी, रेत और कठोर चट्टानों को काटकर गोलाकार सुरंग बना सकती है। आमतौर पर TBM 50 से 60 हजार किलो न्यूटन पर काम करती है, लेकिन इस सुरंग में इसे 1.3 लाख किलो न्यूटन की क्षमता पर चलाया गया।
परियोजना का महत्व और भविष्य
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना कुल 125 किलोमीटर लंबी है और इसमें 30 से अधिक सुरंगें बनाई जा रही हैं। यह पहाड़ी इलाकों से होकर जाएगी, जिससे यात्रा का समय कम होगा और हर मौसम में सुरक्षित कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। विशेष रूप से, यह रेल परियोजना चार धाम यात्रा से जुड़ी है। इससे न केवल पर्यटन और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सुरक्षा बलों के लिए सीमावर्ती इलाकों में पहुंचना भी आसान होगा। रेल मंत्रालय और RVNL अधिकारियों की मानें तो पूरी परियोजना दिसंबर 2026 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी। इसके बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग की यात्रा अधिक आसान और सुरक्षित हो जाएगी।
इंजीनियरिंग की उपलब्धि
देवप्रयाग-जनासू सुरंग का समय से पहले पूरा होना भारतीय रेलवे और देश की इंजीनियरिंग क्षमताओं का जीवंत प्रमाण है। हिमालयी इलाके में इस प्रकार की विशाल सुरंग बनाना एक बड़ी चुनौती है, जिसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इस परियोजना से न केवल यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी मजबूती मिलेगी। यह सुरंग एक ऐसा प्रतीक है, जो दिखाता है कि साहस, तकनीक और टीमवर्क मिलकर बड़े-बड़े सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना सिर्फ एक ट्रांसपोर्टेशन प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह हिमालयी क्षेत्रों में आधुनिक इंजीनियरिंग और विकास का प्रतीक भी बन चुकी है। देश की सबसे लंबी सुरंग तैयार होना भारतीय रेलवे की उपलब्धियों में एक सुनहरा अध्याय जोड़ता है।