पुरानी गाड़ियों की जब्ती पर एलजी वी.के. सक्सेना ने जताई आपत्ति, नीति को अव्यावहारिक बताया
दिल्ली में उम्र पूरी कर चुकी (EOL) गाड़ियों को ईंधन न देने और उन्हें जब्त कर स्क्रैप करने की नीति को लेकर अब उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर इसे अव्यवहारिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का सुझाव दिया है।
एलजी ने कहा कि दिल्ली जैसे महानगर में इस तरह के कठोर प्रतिबंधों के लिए अभी पर्याप्त तैयारी नहीं है। यह नीति न केवल मध्यम वर्ग पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगी, बल्कि उनके भावनात्मक जुड़ाव पर भी असर डालेगी।
उन्होंने यह पत्र सीएक्यूएम (CAQM) द्वारा जारी उस निर्देश के संदर्भ में लिखा है जिसमें 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को जब्त कर स्क्रैपिंग के लिए भेजने की बात कही गई थी।
नीति की समीक्षा की मांग
एलजी सक्सेना ने कहा कि इस नीति को लेकर जनता, विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों से बड़ी संख्या में सुझाव और आपत्तियाँ प्राप्त हुई हैं। लोगों का कहना है कि केवल उम्र के आधार पर गाड़ियों को कबाड़ घोषित कर देना व्यावहारिक और न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कानूनी, सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित रणनीति बनाने की आवश्यकता बताई।
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह नीति मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 59 से टकराती है, जो देशभर में एक समान रूप से लागू होती है। ऐसे में एक ही गाड़ी का दिल्ली में प्रतिबंधित और किसी अन्य राज्य में वैध होना असंगत है।
ट्रांजिट वाहनों पर असर की आशंका
एलजी ने यह भी बताया कि दिल्ली एक महत्वपूर्ण ट्रांजिट कॉरिडोर है, जिससे होकर कई राज्यों के वाहन गुजरते हैं। ऐसे में अन्य राज्यों की वैध गाड़ियों को दिल्ली में अवैध ठहराना अव्यावहारिक और यात्रियों के लिए परेशानी भरा हो सकता है।
दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के हालिया प्रयासों का हवाला
एलजी ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा बीते वर्षों में कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं—जैसे मेट्रो नेटवर्क विस्तार, RRTS का विकास, सड़क धूल नियंत्रण, हरित अभियान, और एंटी-स्मॉग गन जैसी पहलें। इन प्रयासों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करना तर्कसंगत होगा।
एलजी के प्रमुख सुझाव सीएम को लिखे पत्र में:
-
CAQM से आग्रह किया जाए कि वह अपने निर्देशों पर पुनर्विचार करे और नीति को फिलहाल स्थगित किया जाए।
-
सड़क परिवहन मंत्रालय को पत्र भेजकर स्क्रैपिंग नीति की चुनौतियों और अदालती आदेशों की समीक्षा की मांग हो।
-
सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए, जिसमें हालिया सुधार और सरकारी पहलों की जानकारी दी जाए।
-
तीन महीने के भीतर एक व्यापक प्रदूषण नियंत्रण योजना तैयार की जाए, जिसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सड़क धूल, इलेक्ट्रिक वाहनों आदि की स्पष्ट नीति हो।
-
जन-जागरूकता और प्रोत्साहन अभियान चलाए जाएं ताकि लोग अपनी पुरानी गाड़ियों को CNG या इलेक्ट्रिक विकल्पों में बदलने के लिए प्रेरित हों।