उत्तराखंड शासन ने बीती देर शाम वन विभाग में बड़े पैमाने पर फेरबदल करते हुए भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारियों के तबादले की सूची जारी की। इस सूची में फील्ड से लेकर मुख्यालय और प्रतिनियुक्ति तक कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां बदली गई हैं। अधिकारियों को नई जगहों पर भेजकर विभाग के कामकाज को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है।
सूची में शामिल प्रमुख बदलाव
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प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) समीर सिन्हा – कैंपा की जिम्मेदारी अपने पास ही रखेंगे।
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रंजन कुमार मिश्रा – उनसे वन संरक्षण नोडल अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार हटा दिया गया।
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नीना ग्रेवाल – उत्तराखंड वन विकास निगम में प्रतिनियुक्ति पर भेजी गईं।
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एसपी सुबुद्धि – प्रमुख वन संरक्षक, वन संरक्षण नोडल अधिकारी की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई।
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कहकशां नसीम – प्रतिनियुक्ति पर जलागम भेजी गईं। उनकी जगह कल्याणी को अपर सचिव वन और यमुना सर्कल की जिम्मेदारी दी गई।
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सुशांत पटनायक – वन अग्नि एवं आपदा प्रबंधन की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई।
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तेजस्विनी पाटिल – मुख्य वन संरक्षक (कार्य योजना) और कुमाऊं चीफ बनाई गईं।
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संजीव चतुर्वेदी – निदेशक वानिकी प्रशिक्षण अकादमी का प्रभार मिला।
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धीरज पांडे – गढ़वाल के चीफ बनाए गए।
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नीतीश मणि त्रिपाठी – CF साउथ सर्किल की जिम्मेदारी दी गई।
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टीआर बीजू लाल – सदस्य सचिव उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड बनाए गए।
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पंकज कुमार – वन संरक्षक अनुसंधान की जिम्मेदारी मिली।
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चंद्रशेखर जोशी – प्रभारी वन संरक्षक उत्तरी कुमाऊं नियुक्त हुए।
फील्ड स्तर पर हुए बड़े तबादले
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आकाश गंगवार – नैनीताल के नए DFO बने।
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वैभव कुमार – हरिद्वार से चकराता भेजे गए।
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स्वप्निल – गढ़वाल से हरिद्वार के DFO बनाए गए।
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दिगंथ नायक – नरेंद्र नगर के DFO नियुक्त।
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जीवन मोहन – लैंसडाउन के DFO बने।
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अभिमन्यु – गढ़वाल के DFO बनाए गए।
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सर्वेश कुमार – केदारनाथ के DFO नियुक्त।
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ध्रुव सिंह मार्तोलिया – रामनगर के DFO बनाए गए।
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तरुण एस – कालागढ़ के DFO नियुक्त।
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महातीम यादव – नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के उपवन संरक्षक बने।
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आदित्य रन – बागेश्वर के DFO नियुक्त।
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रजत सुमन – रुद्रप्रयाग के DFO बने।
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प्रणाली रमेश – उपवन संरक्षक, वन संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई।
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नरेश कुमार – अपर प्रमुख वन संरक्षक के रूप में जाएका भेजे गए।
अधिकारियों में हलचल, विभाग में नई ऊर्जा की उम्मीद
इस बड़े तबादले से विभाग में हलचल है। कई जिलों में नए अधिकारियों की जिम्मेदारी से कार्यप्रणाली में बदलाव देखने को मिलेगा। खासतौर पर गढ़वाल, कुमाऊं और तराई क्षेत्रों में फील्ड पोस्टिंग बदलने से वन संरक्षण और आपदा प्रबंधन को लेकर नए कदम उठने की उम्मीद है।