उत्तराखंड में जिलों में विशेष थीम पर सहकारी मेलों का आयोजन, स्थानीय अर्थव्यवस्था और ग्रामीण सशक्तिकरण को मिलेगा बढ़ावा

उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के किसानों, काश्तकारों, कारीगरों, युवाओं और महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए एक नया अवसर तैयार किया है। सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि तीन अक्टूबर से 31 दिसंबर तक प्रदेश के सभी जिलों में विशेष थीम पर आधारित वृहद सहकारी मेलों का आयोजन किया जाएगा। इन मेलों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय उत्पादकों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है। मंत्री रावत ने कहा, “इन मेलों के माध्यम से किसान, काश्तकार, कारीगर, युवा और महिला स्वयं सहायता समूह अपने उत्पादों का सीधा प्रदर्शन और बिक्री कर सकेंगे। साथ ही विभागीय और अंतर्विभागीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।” मेलों में स्थानीय सांसद, विधायक, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निकायों के अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख और सहकारिता आंदोलन से जुड़े प्रमुख लोग भाग लेंगे। इसके अलावा, मेलों की लगातार मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए जिलास्तरीय समितियों को प्रतिदिन राज्य स्तरीय समिति को रिपोर्ट भेजनी होगी। प्रत्येक मेले के बाद 15 दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।

हर जिले की अलग थीम, विविध विषयों पर फोकस

सहकारिता मंत्री ने बताया कि प्रत्येक जिले में मेलों की अलग-अलग थीम निर्धारित की गई है। मुख्य थीम और विशेष आकर्षण इस प्रकार हैं:

  • अल्मोड़ा: सहकारिता से हस्तशिल्प संरक्षण – जैविक उत्पाद, स्थानीय कला और ऊनी उत्पाद का प्रदर्शन। साथ ही प्राकृतिक खेती पर संगोष्ठी।
  • पौड़ी: सहकारिता से ग्रामीण सशक्तिकरण।
  • बागेश्वर: सहकारिता से पर्वतीय कृषि।
  • रुद्रप्रयाग: धार्मिक पर्यटन विकास।
  • पिथौरागढ़: सीमावर्ती समृद्धि।
  • चमोली: पर्यावरण संरक्षण, ईको टूरिज्म और वन सहकारिता।
  • चंपावत: सीमांत विकास।
  • उत्तरकाशी: हिमालय जैव संसाधन और साहसिक पर्यटन।
  • ऊधमसिंहनगर: औद्योगिक कृषि।
  • हरिद्वार: आध्यात्मिक समृद्धि।
  • नैनीताल: पर्यटन विकास।
  • टिहरी: पर्यावरण संरक्षण और ईको टूरिज्म।
  • देहरादून: सहकारिता से शहरी-ग्रामीण एकता।

शिक्षा और युवाओं के लिए विशेष सत्र

मेलों में स्थानीय विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए वाद-विवाद, कला और क्विज प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा, तकनीकी सत्र, स्वास्थ्य जागरूकता, डिजिटल साक्षरता, सामुदायिक सहकारिता और महिला सशक्तिकरण पर विशेष परिचर्चा आयोजित की जाएगी। सहकारिता मंत्री ने बताया कि मेलों का उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि युवाओं और ग्रामीणों को सशक्त और जागरूक नागरिक बनाना भी है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि स्थानीय प्रतिभा और उत्पाद सीधे जनता तक पहुंचे और लोगों को सहकारिता आंदोलन के महत्व का अनुभव हो।”

मेलों के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

उत्तराखंड में सहकारी मेलों का आयोजन न केवल स्थानीय उत्पादकों के लिए अवसर देगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान भी डालेगा। इन मेलों से स्थानीय उत्पादकों, कारीगरों और महिला स्वयं सहायता समूहों को सीधे बाजार तक पहुंच मिलेगी, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थायी सुधार आएगा। धन सिंह रावत ने कहा, “हम चाहते हैं कि हर जिला अपने विशेष विषय पर केंद्रित हो और लोग सीधे मेलों के माध्यम से सीखें, अनुभव करें और अपने उत्पाद बेचें। यह केवल एक मेला नहीं, बल्कि ग्रामीण सशक्तिकरण और स्थानीय विकास का एक बड़ा मंच है।”

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